1453971' type='text/javascript' raj: गरीबों की जमीन पर माफियाओं की गिद्घदृष्टि

Wednesday, August 03, 2011

गरीबों की जमीन पर माफियाओं की गिद्घदृष्टि

आदिवासी-हरिजनों के हाथ से भी खिसक रही पट्टे की जमीन
नरसिंहपुर (एमपी मिरर)। भूमि अधिग्रहण के नए संशोधित आ रहे विधेयक एवं राज्य शासन की नई पुनर्वास नीति के लागू होने के पहले जिले में भू माफिया औने-पौने दामों में कीमती सिंचाईयुक्त जमीन खरीदने उतावले हो रहे हैं। निजी तौर पर कई हेक्टेयर जमीन भू-माफिया खरीदने की जुगत में हैं।
पिछले एक दशक में जिले में खेती योग्य सिंचित-असिंचित जमीन को भू-माफियाओं ने व्यावसायिक प्रयोजन और कालोनी विकसित करने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों के भोले-भाले आदिवासियों, हरिजनों से औने-पौने दामों में ली हैं। सस्ती जमीन में प्लाट काटे गए और एक-दो लाख के कई करोड़ पैदा किए गए। पिछले दिनों हुई इन्वेस्टर्स मीट में भी जो कंपनियां जिले में अपने प्लांट लगाना चाह रही थीं, उन्होंने भी सिलारी, झांसीघाट क्षेत्रों में आदिवासी हरिजनों की जमीनें बरगलाकर हथियाने की कोशिश की है।

बरमान, राजमार्ग, सुआतला समेत गाडरवारा क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर खेती योग्य जमीन को सस्ते दामों पर हथियाने की कोशिशें हैं। केन्द्र सरकार के आ रहे भूमि अधिग्रहण संशोधित विधेयक ने भू-माफियाओं का रक्तचाप बढ़ा दिया है और वे विधेयक में संशोधन व लागू होने के पहले ऐन-केन प्रकारेण जमीन हथियाने के लिए आदिवासियों, हरिजनों को बरगला रहे हैं। नए विधेयक में जिस तरह के प्रावधान किए गए हैं, वह माफियाओं के माथे पर बल खींच रहे हैं।

प्रावधान के अनुसार भूमि अधिग्रहण कानून में कंपनी को निजी उद्देश्यों के लिए जमीन के अधिग्रहण करने की पात्रता नहीं होगी, निजी कंपनियों के लिए अधिग्रहण में 80 प्रश प्रभावित लोगों की सहमति जरूरी होगी। जबकि ग्रामीण इलाकों में 6 गुनी कीमत पर जमीन मिलेगी एवं सिंचित जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा, लोकहित की परिभाषा भी नए सिरे से परिभाषित की जाएगी। इन तमाम प्रावधानों से स्थिति यह है कि भू माफिया ऐन-केन प्रकारेण जल्द से जल्द रजिस्ट्री कराने के लिए ग्रामीणों पर डोरे डालने लगे हैं या उन्हें प्रभावित कर रहे हैं।

सिलारी में ही पट्टे वाली 18-20 हेक्टेयर की जमीन हरिजनों-आदिवासियों से लेने के लिए प्रक्रियाएं शुरू हो गई हैं, समूची जमीन सस्ते दामों पर हथियाई जा रही है, जबकि दबंगों को मनमाफिक पैसा दिया जा रहा है। पंजाब-हरियाणा प्रांत के कई व्यवसायी भी नरसिंहपुर जिले में बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने की फिराक में हैं। बरमान में तो 1 हजार से 2 हजार हेक्टेयर की एक मुश्त जमीन खरीदने के लिए बाहर के लोग सक्रिय हैं, कई हेक्टेयर जमीन तो पहले ही खरीदी जा चुकी है।
मैंने तो यह विधानसभा में प्रश्न उठाया था, पता चला कि 3 हजार हेक्टेयर जमीन बाहर प्रांत के लोग खरीद चुके हैं। हमारे किसान जमीन से बेदखल हो रहे हैं, मैंने तो मांग यह है कि महाराष्ट्र या अन्य राज्य की तरह हमारे राज्य में भी बाहर के लोगों को जमीन खरीदने पर प्रतिबंध होना चाहिए। इससे कम से कम किसानों का हित संरक्षण तो होगा।

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