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Monday, January 25, 2010

खेती को लाभकारी बना रहीं विकास योजनाएं

मनोहर पाल
भोपाल। भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की जलवायु भी इसके अनुकूल है। एक अनुमान के मुताबिक देश की ७० प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर करती है और इसी से उनके जीवन का गुजारा चल रहा है। यदि मप्र की बात की जाए तो यह ३०७.४५ लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल के मान से देश का दूसरा सबसे ब$डा राज्य है तथा इसकी वर्तमान अनुमानित जनसंख्या छह करो$ड के करीब है। इतना ही नहीं मप्र में ग्रामीण इलाकों में सर्वाधिक जनसंख्या निवास करती है, जिनकी आय का मुख्य श्रोत कृषि ही माना जाता है। अनुमानत: प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में ७५ फीसदी जनसंख्या निवास कर रही है और मूलरूप से ये सभी कृषि पर निर्भर हैं। कृषि के सहारे जीवनयापन करने वाले आज लाखों छोटे-छोटे किसान ब$डे किसानों के रूप में उभर रहे हैं और प्रदेश के अनाज, फल व सब्जियों में देश के विभिन्न राज्यों सहित विदेश में धूम मचाए हुए हैं। इसी के सहारे कई किसान आज लखपतियों की कतार में ख$डे हो गए हैं और इसे व्यापक पैमाने पर करने लगे हैं।

प्रदेश में कृषि में ब$ढोतरी हो रही है और इसमें लगातार विकास होता जा रहा है। प्रदेश सरकार भी लगातार कृषि को ब$ढावा दे रही है और इससे संबंधित कई तरह की विकास योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनकी मदद से आज कई किसान बुलंदियों को छू रहे हैं। आए दिन इस तरह के जुमले सुनने को मिलते हैं कि फलां किसान फलां खेती का उपार्जन कर लखपतिबन गया है। इससे यही प्रतीत होता है कि प्रदेश में कृषि में अब लोग बेहद रुचि लेने लगे हैं और आधुनिकता को अपनाकर कृषि का उत्पादन कर रहे हैं। इनके लिए प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रहीं कई कल्याणकारी योजनाएं भी मार्गदर्शक बनकर उभर रही हैं।
प्रदेश सरकार ने खेती में आधुनिकता लाने के लिए और इसमें वृद्घि करने के लिए कई तरह के अहम कदम उठाए हैं। जिस तरह से प्रदेश में किसानों ने आज खेती के उत्पादन में जागरूकता आई है, उससे कृषि उपार्जन में कई गुना वृद्घि हुई है। वैसे की प्रदेश के मुखिया शिवराज ङ्क्षसह चौहान कई बार घोषणा कर चुके हैं कि प्रदेश में खेती को घाटे का सौदा नहीं बनने दिया जाएगा, बल्कि इसे हरहाल में फायदे का धंधा बनाया जाएगा। जिस तरह से प्रदेश सरकार किसान भाइयों के हित में कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, उनसे वे काफी लाभ ले रहे हैं, यहां तक कि इन योजनाओं का लाभ लेकर कई किसान लखपति बन गए हैं और इसे ब$डे पैमाने पर कर रहे हैं तथा कई और लोगों को रोजगार दिला चुके हैं।

मप्र में कुल उपलब्ध भूमि में से करीब ७० फीसदी भू-भाग का कृषि उपार्जन के लिए उपयोग किया जा रहा है। वैसे तो प्रदेश की जलवायु कृषि के लिए उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन आज के वातावरण में बदलाव आ जाने की वजह से कुछ हद तक कृषि प्रभावित हुई है, लेकिन प्रदेश सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाओं के चलते कृषि को लाभकारी धंधे की ओर ले जाया जा रहा है। प्रदेश में ४२ फीसदी भूमि पर अनाज समूह की फसलों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें २१ फीसदी दलहन व २१ फीसदी तिलहन एवं ३ प्रतिशत नकद समूह की फसलें उत्पादित की जाती हैं, वहीं शेष पर फल, सब्जी, चारा, औषधियंा आदि समूह की फसलें उगाई जा रही हैं। इसके अलावा कुल कृषि के लिए उपयोग होने वाली भूमि में से ५९ फीसदी पर खरीफ मौसम की फसलें उगाई जाती हैं, जबकि ४१ फीसदी पर रबी के मौसम में फसलें बोई जाती हैं। बहु फसलों के लिए कुल कुषि भूमि में से १८ प्रतिशत भूमि का उपयोग किया जाता है। वैसे भी मप्र दलहन और तिलहन का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य है। प्रदेश में चना और सोयाबीन का सबसे अधिक उत्पादन होता है। यहां से चना और सोयाबीन का निर्यात देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी किया जाता है रहा है। देश में कृषि उत्पादन और इसमें वृद्घि करने में मप्र का का एक अलग ही योगदान है।

प्रदेश में मुख्य रूप से जिन फसलों और सब्जियों का उत्पादन होता है, उनमें गेहंू, ज्वार, मक्का, धान आदि शामिल हैं, जबकि तिलहन की फसलों में सोयाबीन, सरसों और अलसी, जबकि दलहन में चना, मसूर और तुअर का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है। वहीं सब्जियों में मटर, फूल गोभी, भिन्डी, टमाटर, आलू और प्याज, जबकि फलों में मुख्यरूप से आम, अमरूद, संतरा, पपीता और केला का उत्पादन होता है। इसके अलावा प्रदेश में कई तरह के मसाले भी उगाए जाते हैं, जिनमें मिर्ची, लहसुन, धनिया, अदरक और हल्दी मुख्य हैं। प्रदेश में लहसुन का भी सर्वाधिक उत्पादन होता है, जिसमें इसका राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग ३७ प्रतिशत है। प्रदेश में जिस तरह से लहसुन उगाने में मामले में अग्रणी माना जाता है, उसी तरह धनिये के उत्पादन में भी दूसरे नम्बर की भूमिका निभाता है।

प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में और उन्हें लाभांवित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई हैं, जिनसे कई किसान लाभांवित हुए हैं। इन योजनाओं खेत-तालाब योजना, बलराम ताल योजना, कृषि विस्तार योजना, किसान मित्र एवं किसान दीदी योजना, बीज गुण नियंत्रण कार्यक्रम, उर्वरक गुण नियंत्रण कार्यक्रम, कीटनाशक गुण नियंत्रण कार्यक्रम, बायोगैस विकास कार्यक्रम, नाडेप विधि से कम्पोस्ट खाद तैयार करने की योजना, लघुत्तम सिंचाई योजना, सामान्य गन्ना विकास योजना, कृषि बीमा योजना आदि शामिल हैं। इन योजनाओं से बहुआयामी रूप में किसान लाभ ले रहे हैं।

आज प्रदेश में कई ऐसे भी उदाहरण हैं, जिन्होंने बंजर भूमि को भी प्रदेश सरकार की योजनाओं से लाभ लेकर उपजाऊ भूमि बना दिया है और ब$डे पैमाने पर कृषि का उत्पादन कर रहे हैं। प्रदेश में कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा भी किसानों के हित में आए दिन प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं और इन्हें कई तरह की जानकारियां दी जाती हैं, जिससे वे खेती में आने वाली कई तरह की परेशानियों से बच सके और इसे उचित ढंग से कर सकें। प्रदेश सरकार की इन योजनाओं से आज महिलाएं भी प्रेरित हो रही हैं और वे भी एकल खेती करने लगी हैं। एक अभियोजन के अनुसार प्रदेश में महिलाओं की कृषि में भागीदारी योजना सहित महिला कृषकों के हित में चलाई जाने वाली अन्य योजनाओं से अब तक कई महिलाएं लाभांवित हो चुकी हैं और इन्हें और प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही इनके अनुभवों को अन्य महिला किसानों को दिए जा रहे हैं, ताकि वे भी इसी क$डी का हिस्सा बनें। प्रदेश के ऐसे कई छोटे-छोटे गांव हैं, जहां पर रोजगार के नाममात्र के साधन हैं और जो भी भूमि है वह या तो कम उपजाऊ है या फिर बंजर है। ऐसे क्षेत्रों में भी किसानों को प्रदेश सरकार की योजनाओं से रूबरू कराया जा रहा है और इन योजनाओं के माध्यम से वे कृषि करने में लग गए हैं, जिससे उन्हें कहीं अन्यंत्र जाने की बजाय गांव में ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में उपजाऊ भूमि का रकबा ब$ढने के साथ-साथ कृषि का भी उत्पादन ब$ढा है और आज किसानों का रुझान जैविक खेती की ओर ब$ढने लगा है। प्रदेश सरकार की योजनाओं से प्रेरित होकर आज कई किसान जैविक खेती कर रहे हैं। हालांकि शुरुआती दौर में इन्हें कुछ दिक्कतों का सामना करना प$डा, लेकिन धीरे-धीरे वे आज उच्च श्रेणी के किसान बनते जा रहे हैं।

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