1453971' type='text/javascript' raj: हौले-होले बढ़ रहा प्रदूषण, संकट में जीवन

Friday, September 25, 2009

हौले-होले बढ़ रहा प्रदूषण, संकट में जीवन


भोपाल (सुनील कुमार)। चारों ओर से पहाड़ियों और हरियाली से घिरा भोपाल शहर एक खूबसूरत शहरों में से एक है। यहां का शुध्द वातावरण और शांत माहौल लोगों को खूब रास आता है, लेकिन अब यहां की आबोहवा खराब होने लगी है। बढ़ती आबादी, बिगड़ता प्राकृतिक स्वरूप, पर्यावरण से खिलवाड़ और बढ़ते वाहनों की संख्या से फैलता प्रदूषण लोगों का जीना दुश्वार कर रहा है। कभी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर माना जाने वाला यह शहर अब प्रदूषण की चपेट में आता जा रहा है। आज पर्यावरण लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। शहर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सबसे ज्यादा हवा और पानी प्रदूषित है। यहां के हवा में 25 प्रतिशत ज्यादा आरएसपीएम (रेस्पीरेटरी सस्पेंडेंड पार्टिकूलर मैटर) है, वहीं पानी में भारी तत्वों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हाल ही में प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा शहर के प्रदूषण जॉच रिर्पोट में यह बात सामने आई है।

क्यों बढ़ रहा है प्रदूषणः- प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण बढ़ती आबादी और अंधाधुंध हो रहे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन है। सब कुछ जानते हुए भी प्रकृति से लगातार छेड़छेड़ किया जा रहा है। आज हम सतही, भूमिगत जल का लगातार विदोहन कर रहे हैं, वहीं पेड़ों की कटाई भी तेजी से की जा रही है। शहर को हरा-भरा बनाने के बजाय उसे आधुनिक बनाने में लगे हुए हैं, जहां पर ग्रीन पार्क और योजनाबध्द तरीके से शहर का विकास करना चाहिए, वहां बेतरतीब और ऊंची व विशाल इमारतें बनाई जा रही हैं। बढ़ती आबादी और बढ़ते वाहनों की संख्या से प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित करता है और इसका बुरा प्रभाव मानव शरीर पर पड़ता है।

मिट्टी भी हो रही है प्रदूषितः- आज शहर में ही नहीं बल्कि गांवों में भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। अधिक से अधिक फसल लेने के चक्कर में किसान अपने खेतों में रासायनिक खाद और उर्वरकों का ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे न केवल मिट्टी प्रदूषित होती जा रही है, बल्कि पानी भी प्रदूषित हो रहा है। बारिश के दौरान जब मिट्टी के साथ बहकर ये रासायनिक पदार्थ नदी और तालाबों में जाकर मिलते हैं, जिससे पानी प्रदूषित होता है। साथ ही खेत में लगी फसल पर कीटनाशक दवाओं की छिड़काव से अनाज, फल और सब्जियों में भी इन कीटनाशकों की मात्रा बढ़ जाती है। इसके सेवन से न केलल हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है, बल्कि इससे कई बीमारियां भी फैलती है।
ओजोेन परत में छेद होने का खतराः-प्रदूषण बढ़ने के कारण ओजोन परत में छेद बढ़ते जा रहे हैं। इससे सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों से पृथ्वी का बचाव होता है, लेकिन प्रदूषण के बढ़ने के कारण ओजोन परत कमजोर होती जा रही है। यह परत ऑक्सीजन गैस को भी सुरक्षित रखने का काम करती है। बढ़ते प्रदूषण के कारण ग्रीनहाउस इफेक्ट बढ़ता जा रहा है। इसी तरह प्रदूषण बढ़ता रहा तो ओजोन परत में छेद बढ़ने से कई समस्याएं और प्राणघातक बीमारियां होंगी। इससे कैंसर, मोतियाबिंद, चर्म रोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है।

सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं पुराने वाहनः- वर्तमान शहर में दोपहिया वाहनों की संख्या 413850 और चार पहिया वाहनों की संख्या 34808 है। इनमें सबसे ज्यादा पुराने वाहनों की संख्या है। ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट का मानना है कि लगभग 70 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो वाहनों को सही तरीके से मेंटेन नहीं रखते, जिससे दोगुनी मात्रा में प्रदूषण फैलता है। सही रख-रखाव के अभाव में वाहनों की ट्यूनिंग बिगड़ जाती है। इससे पेट्रोल, डीजल सही से नहीं जल पाता है और वे दोगुनी मात्रा में प्रदूषण फैलाने लगते है।

स्वास्थ्य खतरे में ः- प्रदूषित पर्यावरण और नष्ट होती हरियाली के कारण शहरवासी विभिन्न बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं। यहां फेफड़े व दिल के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहीं पेट संबंधी, एलर्जी और हडि्डयों का कमजोर होने वाले मरीजों की संख्या भी ज्यादा है।
मौसम में आया बदलावः-बढ़ते प्रदूषण के कारण मौसम में भी बदलाव आया है। ग्लोबल वार्मिंग से तापमान बढ़ने से भी कई परेशानियां बढ़ गई हैं। इसी का नतीजा है कि बरसात के मौसम में कहीं सूखा तो कहीं बाढ़, सर्दी में गर्मी और गर्मी में भीषण गर्मी देखने को मिल रहा है।
हरियाली बढ़ाने से नहीं फैलेगा प्रदूषण ः- प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए सबसे जरूरी है पौधे लगाना। अपने चारों तरफ के वातावरण को हरा-भरा बनाना। यदि हरियाली को बढ़ावा दिया जाए तो प्रदूषण पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है। शहर का विकास योजनाबध्द तरीके से करने पर वातावरण शुध्द होगा।

इनका है कहनाः- अतुल सिंह (आशा एनजीओ) का कहना है कि शहर विकास के रास्ते पर है, चारों तरफ विकास कार्य अंधाधुंध चल रहे हैं। साथ ही यहां आबादी भी बढ़ रही है, जिसके कारण प्रदूषण का बढ़ना स्वाभाविक है। हालांकि प्रदूषण को रोकने के लिए कई गैर सरकारी संगठन कार्य कर रहे हैं। इसमें एनसीएचएससी भी शहर की बड़ी झील और आस-पास के जगहों पर प्रदूषण रोकने का काम रही है। सबसे जरूरी बात यह है कि शहर का विकास योजनाबध्द तरीके से किया जाए और शहर के अन्दर ग्रीन पार्क व पेड़-पौधे लगाएं जाये।
कटारा निवासी आरके सिंह का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण असंतुतिल विकास है। आज से दस वर्ष पहले पुराने भोपाल को छोड़कर नए भोपाल का विकास नहीं हुआ था। उस समय प्रदूषण नाम मात्र का था, लेकिन आज यहां तो आबादी के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है।
इंजीनियर लोकेश कुमार गुप्ता का कहना है कि शहर में बढ़ते प्रदूषण के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, क्योंकि आज हम इतने महत्वाकांक्षी हो गए हैं कि अपने लाभ के लिए प्रकृति को गलत ढ़ंग से इस्तेमाल करने लगे हैं। प्राकृतिक संसाधनों का विदोहन लगातार किया जा रहा है। हमें आज जरूरत है ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की, ताकि हम आने वाले कल को बचा सकें।

2 comments:

  1. आपने ठीक लिखा है .......... प्रदूषण की समस्या का निदान हमेशा के लिये होना चाहिए ........ ये बढती जा रही है

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब सुन्दर रचना
    धन्यवाद

    ReplyDelete

मिशन-2019 : मप्र में भाजपा को सता रहा कई सीटों पर खतरा, चेहरे बदलने की तैयारी | Weblooktimes.com

मिशन-2019 : मप्र में भाजपा को सता रहा कई सीटों पर खतरा, चेहरे बदलने की तैयारी | Weblooktimes.com