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Tuesday, May 17, 2011

शराबमाफिया पर मेहरबान दिख रहा आबकारी अमला

सिवनी (एमपी मिरर)। मध्यप्रदेश शासन के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नशामुक्त समाज निर्माण का संकल्प अपनी सभाओं में कराने से नहीं थकते हैं और उन्होनें इस प्रकार की नई घोषणा भी कर दी है कि कहीं भी नई शराब की दुकाने नहीं खोली जाएंगी परंतु सिवनी जिले का आबकारी विभाग शराब माफियाओं से सांठगांठ कर घर-घर तक शराब पहुंचाने का कार्य कर रहा है और पूरे जिले में अवैध शराब की बिक्री चल रही है।

कच्ची शराब निर्माण भी बडे पैमाने पर व्यवसायिक रुप से की जा रही है और इस बात का विरोध करने वाले जिम्मेदार व्यक्तियों की बातों को प्रशासनिक अधिकारी दुर्भावनापूर्ण होने की बात कहकर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों का मजाक उडाते हैं जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया द्वारा चिल्ला चिल्लाकर अवैध शराब विक्रय को प्रतिबंधित करने की मांग की जा रही है परंतु यहां पदस्थ आबकारी अधिकारी उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

उन्होंने प्रमाणित आरोप लगाये है जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता स्वयं आबकारी विभाग के कारिंदो ने नाबालिगो को शराब बेचते और पीते हुये पाया है उसके बावजूद भी गांव-गांव में अवैध शराब का विक्रय शराब ठेकेदारों द्वारा विभागीय अमले की सांठगांठ के साथ किया जा रहा है मुख्यमंत्री जी वैधानिक ढंग से नई शराब दुकान खोलने के पक्ष में नहीं है परंतु उनकी सत्ता में मदमस्त हुये बेलगाम प्रशासनिक अधिकारी अवैधानितक तरीके से गांव-गांव में शराब विक्रय के केन्द्र स्थापित कर चुके है यहां तक की धार्मिक स्थलों के आसपास अवैध ढंग से शराब विक्रय की जा रही है अनेक ग्राम पंचायतें अपने ग्रामों में शराब विक्रय के विरोध में है परंतु आबकारी विभाग उन ग्रामों के प्रस्तावों के विरुद्घ शराब विक्रय करने के लिये आमादा है।
स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती जी महाराज जगत गुरु शंकराचार्य की जन्मस्थली एवं मातृधाम जैसे पवित्र और आस्था के केन्द्रों पर अवैध ढंग से शराब माफिया शराब विक्रय कर रहे है ग्राम पंचायत सरेखा द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया है कि सरेखा में शराब दुकान बंद कराई जाये परंतु यह दुकान आबकारी अधिकारी की हैकडी के कारण संचालित हो रही है इसी प्रकार का प्रस्ताव अन्य ग्रामपंचायतों द्वारा भी दिये गये है निर्वाचित जनप्रतिनिधि यथा विधायक जिला पंचायत सदस्याओं और जिला पंचायत के उपाध्यक्ष जो इन प्रस्तावों पर अमल कराने के लिए जिम्मेदार परंतु वे भी निरंकुश प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष कमजोर दिखाई दे रहे है। आम जनता ऐसी निरंकुश प्रशासनिक व्यवस्था से बुरी तरह प्रताडित है और खुले रुप से यह कहने लगी है कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है।

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