1453971' type='text/javascript' raj: बंगालियों की गिरफ्त में झाबुआ, लोगों की सेहत से खिलवाड़

Saturday, April 30, 2011

बंगालियों की गिरफ्त में झाबुआ, लोगों की सेहत से खिलवाड़

निकलेश डामोर
झाबुआ (एमपी मिरर)। फर्जी बंगालियों की गिरफ्त में आ चुके झाबुआ में खुलेआम जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के शासकीय नुमाईदें जागते हुए भी कुंभकरणीय नींद सोए है। यहां प्रत्येक बीएमओं से तगड़ी सेटिंग कर प्रतिमाह इन फर्जियों से हजारों रूपये वसुले जा रहे है। कहने एवं सुनने में आता है कि ये बंगाली फर्जी झोलाझाप अपने आप को डिग्री वाले डॉक्टरों से कम नहीं समझते। इसी के गुरूर में वे आम जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर उपचार के नाम पर मोटी रकम वसूलने में लगे है।
इसी काली कमाई से इन्होंने अपने आलीशान बंगले बनाकर क्लिनिक को छोटे-छोटे अस्पताल में बदल दिया है। इस तरह खुलेआम निर्धारित पद्घति से हटकर उपचार करने का होसला उन्हें स्वास्थ्य विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी दे रहे है जो इसके एवज में प्रतिमाह मोटी रकम भी लेते है। निचले स्तर से लेकर जिला मुख्यालय के वरिष्ठों तक सेटिंग करने में संबंधित बीएमओ अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र में प्रेक्टिस कर रहे फर्जियों को संरक्षण देकर इस कृत्य को करने से नहीं रोकते।

जिले भर में झोलाछाप डॉक्टरों का इतना बोल बाला है कि जिले के छोटे छोटे कस्बों में कहीं भी ये लोग मिल ही जाते है। ऐसा ही थांदला नगर में देखा गया जहां होम्योपेथीक ईलाज करने वाले ऐलोपैथीक इलाज बैखोफ कर रहे है। होम्योपैथिक डॉक्टर सिर्फ होम्योपैथिक ईलाज ही कर सकते है लेकिन वहां देखा गए की बिना डरे इंजेक्शन एवं बोटल मरीज को चडा रहे है।
एक बात तो यह है कि ये लोग सिर्फ ग्रामीणों को ही अपने झासे में लेकर मोटी रकम ऐंठते हैं और ऊपरी तौर पर ईलाज करते है जब हमने थांदला की कुछ क्लीनिकों को देखा तो होम्योपेथिक ईलाज करने वाला डॉक्टर एक महिला को इस कदर इंजेक्शन लगा कर बोतल चडाई जा रही थी कि जैसे किसी जानवर को लगा रहे है बैचारे ग्रामीण क्या करें। वहीं कुछ ही दुरी पर स्थित सांई क्लीनिक पर मरीजों की जांच तो हो रही थी पर ईलाज वहां पर नही किया जा रहा था वहीं पास की ही एक देव मोबाईल की दुकान में परदा लगाकर ईलाज किया जा रहा था और जोरो से इंजेक्शन एवं बोतलों को उपयोग हो रहा था जब इस बारे में उनसे चर्चा की गई तो उन्होने बताया की ये सब हम कर सकते है हमारे कोई भी कुछ नही बिगाड सकता है ज्ञात रहे पिछले दिनों ही सांई क्लिनीक पर छापामार कार्यवाही की गई थी लेकिन अधिकारियों की मिली भगत के चलते अच्छी सेटींग हो गई। ऐसे ही भ्रष्टï अधिकारियों द्वारा चंद रूपये के लिए कई मासुम लोगों की जान ले ली जाती है और जब कोई क्लीनिक पर कोई ऐसा हादसा हो जाता है तो मामले को रफा दफा कर दिया जाता है।

अखिर कब तक
जब संवाददाता द्वारा इन चार से पांच क्लीनिकों का निरिक्षण किया गया तो देखा गया इन क्लीनिकों पर एक्सपाईरी डेट की दवाईयां रखी हुई थी और बैखोफ इंजेक्शन एंव स्लाईन चडाई जा रही थी जब इन चिकित्सकों से चर्चा की गई तो पता चला की इन की अधिकारियों से अच्छी है समय समय पर ये इन अधिकारियों को मिठाई के डब्बे पहुंचाते है। जिससे साफ स्पष्टï होता है कि अधिकारियों इन मिठाई के डब्बों की चाह में कई लोगों की जान से खिलवाड कर रहे है। लेकिन उन्हे क्या उन्हे तो मिठाई के डिब्बो से मतलब है।

क्यों नही होती है कार्यवाही

पिछले दिनों पारा में भी नायाब तहसीलदार दीपाली जाधव द्वारा एक क्लीनिक पर छापामार कार्यवाही की गई थी लेकिन कोई अच्छी सेंटिंग के चलते मेडम ने भी उक्त क्लीनिक पर कोई कार्यवाही नही की बस कुछ दवाईयों को जप्त कर मामले को रफा दफा कर दिया जबकि वहां से करीबन १० से १५ खोके दवाई मिल सकती थी लेकिन अधिकारियों की मिली भगत के चलते उक्त क्लीनिक पर आज तक उक्त क्लीनिक पर कोई भी कार्यवाही नही की गई सिर्फ औपचारिकता निभाई गई।
यदि थांदला में भी देखा जाये तो अधिकारियों द्वारा इन क्लीनिकों पर भी कोई कार्यवाही नही की जायेगी, बस औपचारिकता निभाई जायेगी जिससे लोगो की भी नजर में आ जाये। अगर इन पर कोई कार्यवाही नही की गई तो आने वाले समय में किसी भी एमबीबीएस डॉक्टरों की आवश्यकता ही नही रहेगी। जल्द ही इन पर लगाम कसना जरूरी है।

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