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Friday, April 29, 2011

जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम

कृष्णनंदन श्रीवात्री
सिवनी (एमपी मिरर)। शासन द्वारा प्रदेश के आम नागरिकों विशेषकर गरीब वर्ग के लोगों को बेहत्त्तर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके इसके लिए अनेकों स्वास्थ्य से संबंधित योजनाऐं संचालित की जा रही है, किन्तु जिला मुख्यालय में स्थित इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में आम लोगों को विशेषकर गरीब वर्ग के लोगों को इन योजनाओं का कितना लाभ मिल पा रहा है यह सब अस्पताल का निरीक्षण करने के पश्चात ही संज्ञान में लाया जा सकता है। पूर्व सीएमओ डा चौहान के विरुद्व सुनियोजित तरीके से दुष्प्रचार करते हुए इन्हे सीएमओ पद से हटाने के बाद डा वाय.एस. ठाकुर को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तो बना दिया गया किन्तु इनके इस कार्यकाल की बात की जाये तो इन दिनों जिला चिकित्सालय सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। डाक्टरों सहित कमांउडरों एवं नर्सो की शिकायत करने डॉ. ठाकुर के पास पहुंचने वाले आम लोगों, मरीजों को निराश होकर लोटना पडता है।

अस्पताल के कर्मचारियों एवं डाक्टरों के ऊपर सीएमओ श्री ठाकुर की जरा भी पकड़ न होने से इस अस्पताल में हर कर्मचारी एवं डॉक्टर अपनी मनमर्जी चला रहे हैं, जिससे शासन की स्वास्थ्य संबंधी समस्त योजनाएं धरी की धरी रह जा रही हैं। ऐसे समय में तत्कालीन कलेक्टर श्री सारस्वत की याद अस्पताल के चंद कर्मचारियों सहित मरीजों के परिजनों को आ रही है जिनके कार्यकाल में जिला चिक्त्सिालय में सारे कार्य पूरे ईमानदारी से सुचारू रूप से संचालित होते थे। यहां पदस्थ डॉ. अपना पूरा समय मरीजों की देखभाल में गुजारते थे। तत्कालीन कलेक्टर हर दिन अस्पताल का दौरा करते रहते चाहे दिन हो रात हो या समय जो भी हो। किन्तु वर्तमान में जिला चिक्त्सिालय में जो चल रहा है वहा समय के हिसाब से ठीक नही है। यहां अपने विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारियों से पेंशन और शेष जमा शासकीय राशि प्राप्ति के लिए उनकों सालों मेहनत करनी पड़ती है।
एक ओर जहां शासन चाहता है कि समाज के अंतिम छोर पर बैठे गरीब व्यक्ति को शासन की हर एक योजनाओं का भरपूर लाभ मिले लेकिन जिले के जनप्रतिनिधयों का इस ओर कोई ध्यान नहीं होना चिंता का विषय है। दीनदयाल योजना के माध्यम से 20 हजार तक का नि:शुल्क उपचार किये जाने की घोषणा प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा हर मंच से की तो जा रही है किन्तु सिवनी के इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय की बात की जाये तो यहां इस योजना के तहत मरीजों का मुंह देखकर व्यवहार किया जाता है। अस्पताल में चल रही गुटबाजी के चलते जिले के अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के कार्यांे में बाधा तो उत्पन्न हो ही रही है साथ ही सबसे ज्यादा असर डॉक्टरों की गुटबाजी के चलते मरीजों पर पड़ रहा है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन को इससे कोई लेना नहीं है, साथ ही दोनों विशेष डॉ. अपने अपने गुट से संतुष्ट हैं।

ज्ञात होवे कि जिला चिक्तिसालय में सत्ता धारी दल के दो-दो स्थानीय विधायक पति मौजूद हैं फिर भी अस्पताल के जो हाल हैं, उस पर आगे भगवान ही मालिक है। सूत्र बताते है शासन से प्रतिवर्ष लाखों रुपये का बजट मलेरिया, टीकारण, अंधतत्व निवारण के अलावा अन्य बीमारियों के लिए आता है जिसका पूरा उपयोग भी अस्पताल प्रशासन कर रहा है किन्तु यथार्थ में इनका लाभ जिले के कितने जरुरत मंद लोगो को मिल रहा है न तो सत्त्ता पक्ष और न विपक्ष को इन सब से कोई मतलब नहीं है।

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