सुरेंद्र त्रिपाठी
- चारो ओर छाई रही भक्तों की भीड़ ,भक्ती में लीन रहे श्रृद्धालु
- 14 हजार जवारा कलशों से छाया रहा हरियाला का माहौल
उमरिया (एमपी मिरर)। हजार कलशों का विशाल चल जुलूस जब शहर की सड़कों से होकर गुजरा तो ऐसा लगा मानों प्रकृति देवी ने दूर तक हरियाली की मखमली चादर आच्छादित कर दी हो। इसी मनोरम दृश्य को देखने के लिए आज पाली में श्रृद्धालुओं का शैलाब उमड़ पड़ा। भवनों की छतो,बाउण्ड्री वालों, रेल्वें के ओव्हर ब्रिज तथा पेड़ो पर चढकर लोगो ने इस मनोरम छटा का अवलोकन किया। विशाल जवारा जुलूस के सज्ञथ शैला नृत्य करते लोग,नर्तक दल मुंह, हाथ और जीभ में बाना छिदवाते, माँ बिरासिनी के भक्ति आवेश में कील लगी खडाऊ पर चड़ते, झूमते, नाचते और किलकारियां मारते भक्तों के हैरंतगेज कारनामों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि शायद ही देश के किसी कोने में इतना विशाल उत्सव मनाया जाता हो। माँ
बिरासिनी मंदिर का जवारा जुलूस अपनी ख्याति के अनुसार भव्य और ऐतिहासिक रहा जिसे देखने के आज लाखों की तादात में लोग पाली पहुंचे। वर्षो से चली आ रही परम्परा के अनुसार पाली स्थिति शक्तिपीठ माँ बिरासिनी मंदिर का ऐतिहासिक चल जवारा जुलूस नवरात्रि की नवमी को निकाला गया। इसके पंरम्परा का निर्वाहन करते हुए मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष माँ बिरासिनी के महाकाली स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। जवारा जुलूस शाम पांच बजें मंदिर के उत्तरी द्वार से प्रारंभ हुआ जो मुख्य बाजार, बस स्टेैण्ड अस्पताल तिराहा, नगर पंचायत कार्यालय और बिरासिनी मंदिर के शक्ति द्वार से होते विशाल सगरा तालाब में बिसर्जित किया गया। जवारा जुलूस के अवलोकन के लिए आज पाली से जनसैलाब उमड पड़ा। मुख्य मार्ग पर कही भी पैर रखने की जगह नही थी। माँ बिरासिनी मंदिर का जवारा जुलूस जब मंदिर के उत्तरी द्वार से होकर निकला तो लोग उसे देखने के लिए भवनों की छतों, बाउण्ड्री बालों, रेल्वे के ओव्हर ब्रिज और पेड़ो पर चढ गए। लोक नर्तक दल, काली खप्पर, नृत्य दल, जवारा जुलूस के आगे-आगे चल रहे थे। जवारा कलशों का विशाल चल जुलूस जब मंदिर से निकला तो ऐसा लग रहा था मानों प्रकृति ने हरी चादर आच्छादित कर दी हो। लगभग एक किलोमीटर लंबे इस जवारा जुलूस को देखने के लिए नगर की सभी सड़कों में लोगो की खचाखच भीड़ बनी रही।
भक्तों ने मुंह, हाथ, में धारण किये बाना
जवारा जुलूस के आगे कई श्रृद्धालु मुंह हाथ में बाना धारण किये चल रहे थे। माँ के भक्त जब गाल के आर-पार लोके नुकीले बाना छेद रहे थे तो हर किसी को इन्हें देखकर आश्चर्य हो रहा था। एक छोटी सी सुई चुभने पर रक्त की धार बह निकलती है लेकिन नुकीले बाना छेदे श्रृद्धालुओं के गाल से रक्त की एक बंूद भी नही निकल रही थी। जिसे लोग माँ बिरासिनी की कृपा मानते है। बाना धारण करने वाले श्रृद्धालुओं के चेहरे पर किसी तरह के दर्द का भाव देखने को नही मिल रहा था वरन वे मुस्कुरा रहे थे और भाव-विभोर हो कर माँ बिरासिनी के जवारा जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे।
भक्तिमय होकर झूमते रहे श्रृद्धालु
जवारा जुलूस और उसके पहले मंदिर में माँ बिरासिनी के भक्तों का भक्ति भाव देखते ही बनता था। मंदिर में देवी-भगतों के गायन और जवारा जुलूस के दौरान श्रृद्धालु भाव-विभोर हो झूमने लगे। इतना ही नही कुछ लोगो को तो माँ के दर्शन मात्र से ही भाव आ रहे थे। झूमते किलकारियां मारते और माँ का जयकारा लगाते इन भक्तों को पण्डे देवी माँ के चरण स्पर्श करवाकर उनके भाव शांत कर रहे थे। इस मौके पर महिलाओं और पुरूषों के अलावा बच्चे भी भक्ति आवेश में झूमते देखे गये।
क्या है जबारों की मान्यता
बिरासिनी मंदिर के जवारों के संबंध में मान्यता है कि कृषि प्रhttp://www.mpmirror.com/readnews.php?news_id=4782&associate_with=&page_id=np69&sms_ss=blogger&at_xt=4da5e9ced714e896%2C0धान इस देश के लोग रवि और खरीफ
फसलों के बाद माँ भगवती के श्री चरणों में जवारों की हरियाली अर्पित कर कामना करते है कि हे माँ हमारे जीवन में भी इसी तरह हरियाली बनाए रखना और हमें धन-धान्य से परिपूर्ण रखना। ऐसी भी मान्यता है कि माँ बिरासिनी उसके दरबार में आने वाले भक्त के सभी मनोरम पूर्ण करती है। मनौतियों के पूर्ण होने पर लोग यहां जवारों की स्थापना करवाते गए और धीरे-धीरे जवारों की परम्परा व्यापक स्वरूप लेती गई। यह माँ बिरासिनी की अपने भक्तों पर अनुकंम्पा ही है कि आज यह आयोजन इतना विशाल स्वरूप ले चुका है।
बस, ट्रेन और अन्य बाहनों में रही भारी भीड़
माँ बिरासिनी मंदिर का जवारा जुलूस देखने शहडोल, कटनी, अनूपपुर, डिंडौरी, सहित आस-पास के समस्त जिलों और दूरस्थ प्रांतों के लोग पाली में पहुंचकर माँ बिरासिनी के दर्शन कर इस भव्य जवारा जुलूस को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है। जिसके कारण ट्रेनों, बसों और टेक्सियों में भारी भीड़ रही। रेल्वे स्टेशन भी यात्रियों से खचाखच भरा रहा। कटनी और बिलासपुर की ओर से चलने वाली ट्रेनों में आज पैर रखने तक की जगह नही मिल रही थी।
भारी भीड़ के कारण जुलूस से लौअते समय कई लोग टे्रनों से बंचित रह गए। यही हाल टैक्सी और बसों में भी थी जिसमें क्षमता से दोगुनी सवारिया ढोने के बाद भी भीड़ कम होने का नाम नही ले रही थी। जवारा जुलूस के कारण पुलिस द्वारा जुलूस के दो घण्टे पहले ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों का आवा-गमन रोक दिया गया। उमरिया की ओर से आने वाले वाहन पेट्रोल पम्प के पास रोके जा रहे थे। सड़को पर लगभग 4 घण्टो तक आवागमन अवरूद्ध रहने से लोगो को आवा-गमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। शाम लगभग 6 बजें के बाद ही वाहनों का आवा-गमन शुरू हुआ और यातायात बहाल हो सका।
भक्तों ने मुंह, हाथ, में धारण किये बाना
जवारा जुलूस के आगे कई श्रृद्धालु मुंह हाथ में बाना धारण किये चल रहे थे। माँ के भक्त जब गाल के आर-पार लोके नुकीले बाना छेद रहे थे तो हर किसी को इन्हें देखकर आश्चर्य हो रहा था। एक छोटी सी सुई चुभने पर रक्त की धार बह निकलती है लेकिन नुकीले बाना छेदे श्रृद्धालुओं के गाल से रक्त की एक बंूद भी नही निकल रही थी। जिसे लोग माँ बिरासिनी की कृपा मानते है। बाना धारण करने वाले श्रृद्धालुओं के चेहरे पर किसी तरह के दर्द का भाव देखने को नही मिल रहा था वरन वे मुस्कुरा रहे थे और भाव-विभोर हो कर माँ बिरासिनी के जवारा जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे।
भक्तिमय होकर झूमते रहे श्रृद्धालु
जवारा जुलूस और उसके पहले मंदिर में माँ बिरासिनी के भक्तों का भक्ति भाव देखते ही बनता था। मंदिर में देवी-भगतों के गायन और जवारा जुलूस के दौरान श्रृद्धालु भाव-विभोर हो झूमने लगे। इतना ही नही कुछ लोगो को तो माँ के दर्शन मात्र से ही भाव आ रहे थे। झूमते किलकारियां मारते और माँ का जयकारा लगाते इन भक्तों को पण्डे देवी माँ के चरण स्पर्श करवाकर उनके भाव शांत कर रहे थे। इस मौके पर महिलाओं और पुरूषों के अलावा बच्चे भी भक्ति आवेश में झूमते देखे गये।
क्या है जबारों की मान्यता
बिरासिनी मंदिर के जवारों के संबंध में मान्यता है कि कृषि प्रhttp://www.mpmirror.com/readnews.php?news_id=4782&associate_with=&page_id=np69&sms_ss=blogger&at_xt=4da5e9ced714e896%2C0धान इस देश के लोग रवि और खरीफ
बस, ट्रेन और अन्य बाहनों में रही भारी भीड़
माँ बिरासिनी मंदिर का जवारा जुलूस देखने शहडोल, कटनी, अनूपपुर, डिंडौरी, सहित आस-पास के समस्त जिलों और दूरस्थ प्रांतों के लोग पाली में पहुंचकर माँ बिरासिनी के दर्शन कर इस भव्य जवारा जुलूस को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है। जिसके कारण ट्रेनों, बसों और टेक्सियों में भारी भीड़ रही। रेल्वे स्टेशन भी यात्रियों से खचाखच भरा रहा। कटनी और बिलासपुर की ओर से चलने वाली ट्रेनों में आज पैर रखने तक की जगह नही मिल रही थी।
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