1453971' type='text/javascript' raj: जिला चिकित्सालय के अंदर कागजों में दौड़ रहा मलेरिया रथ

Tuesday, April 12, 2011

जिला चिकित्सालय के अंदर कागजों में दौड़ रहा मलेरिया रथ

कृष्णनंदन श्रीवात्री
सिवनी (एमपी मिरर)। जिला चिकित्सालय के मलेरिया विभाग में वर्षों से सांप की तरह कुंडली मारकर बैठे जिला मलेरिया अधिकारी की देखरेख में जिले में मलेरिया रोकथाम अभियान बड़े जोर शोर से सिर्फ कागजों में, फाइलों में जिला चिकित्सालय के अंदर ही अंदर चलाया जा रहा है। हर वर्ष लाखों रुपये मलेरिया के जनक मच्छरों के नष्टीकरण के लिये छिड़काव किये जाने वाले कीटनाशक दवा के बदले जिला मलेरिया और नपा ने मिलकर सिर्फ सफेद पावडर ही नालियों में बहाया है।

इसके अलावा विभाग की मनमानी तो देखे मलेरिया रथ के नाम से गांव-गांव चलाये जा रहे वाहनों की भी फर्जी ऐंंट्री होते आ रही है। और इस विभाग में वर्षो से जमा मलेरिया अधिकारी अपनी काली कमाई से जिला चिकित्सालय को बदनाम करने पर तुला है कुल मिलाकर स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जिला चिकित्सालय में सारी की सारी योजनाएं मलेरिया विभाग के कमरे में ही धरी की धरी रह गई हैं। जिनमें आबंटन तो लाखों, करोड़ों रुपये का होता है पर फायदा नाममात्र का नहीं है। मलेरिया रोग की रोकथाम के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि मुख्यालय में ही दवा का छिडकाव, मच्छरदानी तक नहीं बांटी गई इसे अलावा घर-घर जाकर लोगों की रक्त पट्टिकाएं तक नहीं ली गई। आलम यह है कि मलेरिया रोग का खतरा जस का तस बना हुआ है।

गंदगी से बजबजाती नालियों की साफ-सफाई एवं दवा छिड़काव के लिये गत् माह स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल से जिला अस्पताल को निर्देश दिये गये है कि जिला अस्पताल, नगरपालिका को कीटनाशक छिड़काव के आवश्यकताएं पूर्ण करायें, पर भोपाल के इस आदेश को भी नजर अंदाज कर दिया गया। जिले में मलेरिया रोकथाम के लिये चलाये गये अभियान को सफल बताते हुये विभागीय अधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2010 के अगस्त माह तक, कुरई के 73 गांव, बरघाट 29, केवलारी 32, घंसौर 48, धनौरा 22, गोपालगंज 24, छपारा 39 और लखनादौन के 29 गांव में लाखों रुपए की दवा का छिड़काव किया गया है, जिले में मलेरिया को रोकने के लिये प्राथमिकता से काम किया जा रहा है, इतना जरुर है कि इस वर्ष मच्छरदानी नहीं मिल पाई है। स्वास्थ्य के नाम पर लाखों रुपए का बजट बताया जा रहा है, लेकिन मलेरिया उन्मूलन के नाम पर सब कुछ शून्य है।

शहर में मच्छरों की बढती तादाद को कम करने में मलेरिया विभाग को केवल इसलिए नाकामी हाथ लग रही है क्योंकि उनके पास पर्याप्त कर्मचारी ही नहीं है। इसके अलावा शहर में साफ-सफाई रखने के लिए जिम्मेदार नगरपालिका का भी सक्रिय सहयोग नहीं मिलने से मलेरिया उन्मूलन कार्य पूरी तरह ठप्प हो गया है। मलेरिया उन्मूलन एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है और मलेरिया के लिए हर साल लाखों रुपऐ का बजट निर्धारित किया जाता है। बीच में ही यह बजट यहां खर्च हो रहा है। इसका पता तक नहीं चलता है। जिला मलेरिया कार्यालय को मच्छरों को भी नष्ट करना और दवा छिड़काव, लार्वा सर्वे कार्य सहित सैम्पल जांच भी करना होता है।
शहर के अस्पतालों में मलेरिया जांच के लिए बैठाए गए कर्मचारी मरीजों की जांच इस तरह से कर रहे हैं कि स्लाइड में किसी का खून लिया जाता है और रजिस्टर में नंबर किसी का चढ़ाया जा रहा है और रिपोर्ट किसी और की थमा दी जाती है। इससे रोगियों की उनकी बीमारी का सही इलाज नहीं हो पाता। अस्पतालों में मलेरिया की जांच विश्वसनीय नहीं मानी जा सकती है, क्योंकि भीड़भाड़ में सिलाइड लेने वाले कर्मचारी सही जांच नहीं कर पा रहे हैं। शहर में नगर पालिका की मेहरबानी से जगह-जगह मलवा,कचरा पड़ा हुआ है। झुग्गी बस्ती से लेकर कई संभ्रात कॉलोनियों में कचरे के ढेर लगे होने और गढ्ढों नालों में गंदा पानी भरा होने से उनमें मच्छर बढ़ते जा रहे हैं। मच्छरों को मारने के लिए नगरपालिका की फागिंग मशीन व्यर्थ साबित हो रही है।

No comments:

Post a Comment

मिशन-2019 : मप्र में भाजपा को सता रहा कई सीटों पर खतरा, चेहरे बदलने की तैयारी | Weblooktimes.com

मिशन-2019 : मप्र में भाजपा को सता रहा कई सीटों पर खतरा, चेहरे बदलने की तैयारी | Weblooktimes.com