आलम यह है कि मलेरिया रोग का खतरा जस का तस बना हुआ है। गंदगी से बजबजाती नालियों की साफ-सफाई एवं दवा छिड़काव के लिये गत माह स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल से जिला अस्पताल को निर्देश दिये गये है कि जिला अस्पताल, नगरपालिका को कीटनाशक छिड़काव के आवश्यकताएं पूर्ण कराने को कहा गया था, पर इसकों भी नजर अंदाज कर दिया गया। मलेरिया रोकथाम के लिये चलाये गये अभियान को सफल बताते हुये विभागीय अधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2010 के अगस्त माह तक, कुरई के 73 गांव, बरघाट 29, केवलारी 32, घंसौर 48, धनौरा 22, गोपालगंज 24, छपारा 39 और लखनादौन के 29 गांव में लाखों रुपए दवा का छिड़काव किया गया है, मलेरिया को रोकने के लिये प्राथमिकता से काम किया जा रहा है, इतना जरुर है कि इस वर्ष मच्छरदानी नहीं मिल पाई है। स्वास्थ्य के नाम पर लाखों रुपए का बजट बताया जा रहा है लेकिन मलेरिया उन्मूलन के नाम पर सब कुछ जीरों है। शहर में मच्छरों की ब.ढती तादाद को कम करने में मलेरिया विभाग को केवल इसलिए नाकामी हाथ लग रही है क्योंकि उनके पास पर्याप्त कर्मचारी ही नहीं है। इसके अलावा शहर में साफ-सफाई रखने के लिए जिम्मेदार नगरपालिका का भी सक्रिय सहयोग नहीं मिलने से मलेरिया उन्मूलन कार्य ठप्प हो गया है।
मलेरिया उन्मूलन एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है और मलेरिया के लिए हर साल लाखों रुपऐ का बजट निर्धारित किया जाता है। बीच में ही यह बजट यहां खर्च हो रहा है।
सही कहा आप ने| धन्यवाद|
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