1453971' type='text/javascript' raj: धांधली का पर्याय लेन्टाना उन्मूलन योजना

Wednesday, March 09, 2011

धांधली का पर्याय लेन्टाना उन्मूलन योजना

वन विभाग अधिकारियों के कारनामे, बने फर्जी मस्टर रोल
दमोह (एमपी मिरर)। जिले का वन विभाग वित्तीय धांधलियों, अवैध उत्खनन एवं अवैध कटाई के मामलों में हमेशा से सुर्खियों में रहा है। जिले के जंगलों में जारी अवैध कटाई में जंगल विभाग के उच्च अधिकारियों की संलिप्तता का मामला देष की सर्वोच्च अदालत तक भी पहुंचा। अवैध कटाई और अवैध उत्खनन के भारी शोरगुल में जंगल विभाग की अनेक कार्य गुजारियां दबी रह जाती है।

ऐसी अनेक कारगुजारियो में ''बिगड़े हुये वनों का सुधार'' भी है। जिसकी आड में वनाधिकारी हर साल करोड़ो के बारे न्यारे करते है । बिगडे हुये वनों के सुधार के अनेक फर्जी कामों में एक कार्य ''लेन्टाना उन्मूलन'' का भी होता है। जिसमें मात्र कागजी खानापूर्ति कर प्रतिवर्ष लाखों रूपये का बजट अधिकारीगण चुपचाप डकार जाते है लेन्टाना घने जंगलों में महामारी की तरह उगने वाली वन तुलसी, वन मेंहदी, एवं गुल मेहंदी जैसी झाडिय़ों की खरपतवार को कहते है। पर्यावरण वैज्ञानिकों की राय में यह लेन्टाना वनों के विकास में भारी बाधा उत्पन्न करती है । इसलिये इसके पूरे तरह उन्मूलन की योजना के लिये केन्द्र सरकार प्रतिवर्ष करोड़ों रू. की राशि जारी करती है। दमोह जिले में भी इस योजना के अन्तर्गत लाखों रूपये का बजट आता है। पिछले अनेक वर्षो से दमोह का वन विभाग लेन्टाना उन्मूलन का कार्य करता आ रहा है लेकिन लेन्टाना पूरी तरह खत्म होने की वजाय सालदर साल ज्यादा से ज्यादा जंगली भूभाग में फेलता जा रहा है हर साल विभाग कई लाख रू. के व्यय अपने वही खातों में लेन्टाना उखाडऩे के काम हेतु दर्षाता है इस तरह लेन्टाना का कागजों पर सफाया हो जाता है।

अगले साल पुन: रिपोर्ट बनती है कि गत वर्ष लेन्टाना उखाडऩे के दरमियान जमीन पर कुछ बीजों के गिर जाने एवं कुछ पौधे समूल नष्ट न होने के कारण पुन: भारी मात्रा में लेन्टाना की झाडिय़ा उग आई है अगर इन्हें उखाडा गया तो जंगल बर्बाद हो जायेगा। अत: पुन: बजट आता है और फर्जी मस्टरर एवं फर्जी कार्य प्रगति प्रतिवेदन की प्रक्रिया चलती रहती है और लाखों रू. की राषि सरकारी खजाने से निकालकर वन अधिकारियों की जेबों में बिला जाती है । वर्ष 2008-09 में इस योजना के तहत हुये कार्य के संबंध में संधारित दस्तावेजों की नकल निकलवाने एवं उनका अध्ययन करने के बाद लगभग 60 लाख रूपये का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
मजदूरी भुगतान के जो मस्टरर तैयार किये गये पहले ही नजर में फर्जी दिखायी देते है । क्योंकि एक मजदूर के नाम से एक जगह हस्ताक्षर पाये गये तो दूसरी जगह उसी नाम से अंगूठा का निषान भी पाया गया । जब अमरकीर्ति टीम ने सिंगौरगढ़ वन अभ्यारण परिक्षेत्र की निदान, वघनी, दानीताल एवं सिंगौरगढ़ वीटों का मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया तो सभी जगह लेन्टाना की भरमार देखने को मिली जबकि वन विभाग ने अपने रिकार्ड में लाखों रू. के व्यय द्वारा लेन्टाना का पूर्णत: उन्मूलन दर्षाया है । आसपास के निवासियों से जानकारी प्राप्त करने पर मालूम हुआ कि इस तरह का कोई कार्य बीते अनेक सालों से इस क्षेत्र में वन विभाग द्वारा नहीं कराया गया । इस मैदानी सच्चाई के विपरीत वन विभाग द्वारा कार्य नहीं कराया गया।

अभिलेखों में वर्ष 2008-09 में लेन्टाना उन्मूलन हेतु इस वन परिक्षेत्र में 200745 /- का व्यय दर्ज है बिना काम के राषि खुर्द करने की तो यह तो मात्र परिक्षेत्र की बानगी है। पूरे जिले के सभी वन परिक्षेत्रों में यह घुटाला औसतन 40 लाख रूपये सालाना है। अनेक वन कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस लेन्टाना उन्मूलन जैसी वन विभाग की दर्जनों योजनायें है जिसमें काम केवल कागजों पर ही होता है उन्होनें यह भी बताया कि इस फर्जी वाड़े की पूरी जानकारी विभाग के सभी आला अधिकारियों को है और इस लूट में उनकी भी हिस्सेदारी होती है। कई अधिकारी तो भ्रष्टाचार करके स्थानान्तरण करवाकर दूसरे जगह चले गये। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि मनरेगा के तहत भी वन विभाग को अधिकांष राषि इसी फर्जी ''बिगड़े वनों के सुधार'' की योजना के लिये जारी की गई है।

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