कलेक्टर ने किया सम्मानित
शाजापुर (एमपी मिरर)। परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रति ऐसा जज्बा पहले कभी नही देखा गया। वे न केवल घर-घर जाकर लोगों को छोटे परिवार का महत्व समझाती है, लक्ष्य दंपत्तियों को नसबंदी कराने के लिए प्रेरित करती हैं, अपना किराया खर्च करके उन्हें अस्पताल ले जाती है, उनका ऑपरेशन करवाती है, उन्हें घर वापस लाती हैं, तथा सात दिन बाद पुन: उन्हें टाँके कटवाने अस्पताल ले जाती है। इस दौरान वे उनका पूरा ध्यान रखती हैं तथा उनके छोटे बच्चों की देखभाल भी करती हैं।
यह कहानी है कृष्णा नगर शुजालपुर निवासी श्रीमती शांतिदेवी पति दुर्गाप्रसाद सोनी की, जिन्होंने पिछले दो महीनों में 50 से अधिक लक्ष्य दंपत्तियों के नसबंदी ऑपरेशन करवाए हैं, जिनमें 20 पुरूषों के नसबंदी ऑपरेशन भी शामिल हैं। श्रीमती शांति देवी बताती हैं कि जब वे महिलाओं को ऑपरेशन के लिए प्रेरित करने घर-घर जाती थी तो महिलाएं तो आसानी से मान जाती थी, परन्तु उनकी सास एवं जेठानियों को समझाना टेढ़ी खीर होता था। फिर भी वे उन्हें मना ही लेती थी। वे पुरूषों को भी परिवार कल्याण का महत्व समझाती थीं तथा उन्होंने 20 पुरूषों को नसबंदी ऑपरेशन के लिए प्रेरित किया।
श्रीमती शांति देवी घर-घर जाकर बताती थी कि छोटा परिवार ही सुखी परिवार होता है, दो बच्चों पर नसबंदी ऑपरेशन करवाने पर लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ मिलता है, साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने में भी आसानी होती है। शासन प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करता है। शांतिदेवी बताती है कि उन्हें पुरूष नसबंदी करवाने पर प्रति केस 300 रूपये तथा महिला नसबंदी करवाने पर प्रति केस 250 रूपये की जो प्रेरक राशि मिलती थी उसे भी वे नसबंदी करवाने वाले पुरूष/महिला को प्रदान कर देती थीं।
जब वे कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर श्रीमती सोनाली वायंगणकर से मिलने आईं तो न केवल कलेक्टर ने उन्हें सम्म्मानित किया बल्कि उन्हें आश्वस्त किया कि उसके जो भी कार्य होंगे उन्हें नियमानुसार प्राथमिकता के आधार पर कर दिया जाएगा। श्रीमती शांतिदेवी को शुजालपुर की अनुविभागीय अधिकारी सुश्री आइरिन सिंतिया जेपी की ओर से भी सम्मानित किए जाकर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है।
शाजापुर (एमपी मिरर)। परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रति ऐसा जज्बा पहले कभी नही देखा गया। वे न केवल घर-घर जाकर लोगों को छोटे परिवार का महत्व समझाती है, लक्ष्य दंपत्तियों को नसबंदी कराने के लिए प्रेरित करती हैं, अपना किराया खर्च करके उन्हें अस्पताल ले जाती है, उनका ऑपरेशन करवाती है, उन्हें घर वापस लाती हैं, तथा सात दिन बाद पुन: उन्हें टाँके कटवाने अस्पताल ले जाती है। इस दौरान वे उनका पूरा ध्यान रखती हैं तथा उनके छोटे बच्चों की देखभाल भी करती हैं।
यह कहानी है कृष्णा नगर शुजालपुर निवासी श्रीमती शांतिदेवी पति दुर्गाप्रसाद सोनी की, जिन्होंने पिछले दो महीनों में 50 से अधिक लक्ष्य दंपत्तियों के नसबंदी ऑपरेशन करवाए हैं, जिनमें 20 पुरूषों के नसबंदी ऑपरेशन भी शामिल हैं। श्रीमती शांति देवी बताती हैं कि जब वे महिलाओं को ऑपरेशन के लिए प्रेरित करने घर-घर जाती थी तो महिलाएं तो आसानी से मान जाती थी, परन्तु उनकी सास एवं जेठानियों को समझाना टेढ़ी खीर होता था। फिर भी वे उन्हें मना ही लेती थी। वे पुरूषों को भी परिवार कल्याण का महत्व समझाती थीं तथा उन्होंने 20 पुरूषों को नसबंदी ऑपरेशन के लिए प्रेरित किया।
श्रीमती शांति देवी घर-घर जाकर बताती थी कि छोटा परिवार ही सुखी परिवार होता है, दो बच्चों पर नसबंदी ऑपरेशन करवाने पर लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ मिलता है, साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने में भी आसानी होती है। शासन प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करता है। शांतिदेवी बताती है कि उन्हें पुरूष नसबंदी करवाने पर प्रति केस 300 रूपये तथा महिला नसबंदी करवाने पर प्रति केस 250 रूपये की जो प्रेरक राशि मिलती थी उसे भी वे नसबंदी करवाने वाले पुरूष/महिला को प्रदान कर देती थीं।
जब वे कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर श्रीमती सोनाली वायंगणकर से मिलने आईं तो न केवल कलेक्टर ने उन्हें सम्म्मानित किया बल्कि उन्हें आश्वस्त किया कि उसके जो भी कार्य होंगे उन्हें नियमानुसार प्राथमिकता के आधार पर कर दिया जाएगा। श्रीमती शांतिदेवी को शुजालपुर की अनुविभागीय अधिकारी सुश्री आइरिन सिंतिया जेपी की ओर से भी सम्मानित किए जाकर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है।
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