Sunday, February 13, 2011
भगवान भरोसे शिव की लाड़लियां
भगवान भरोसे शिव की लाड़लियां
अनिल श्रीवास्तव
झाबुआ (एमपी मिरर)। प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान ने तो लडकियों के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई है और विशेष तौर पर गांव कि लडकियों के लिए ये योजनाएं चलाई है।
इन गांव की लडकियों को आगे बडाने के लिए प्रदेश के मुखीया क्या नही कर रहे है। लेकिन इन योजनाओं को संचालित करने वाले अपने भ्रष्टाचार के चलते इन योजनाओं के संचालन में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला परवट के कन्या आश्रम में देखने को मिला। झाबुआ जिले के ग्राम परवट में संचालित होने वाला कन्या आश्रम में भी भारी गडबड देखने को मिली। इस कन्या आश्रम की खासियत है कि यहां अधीक्षका रहती ही नही है छात्राओं को चौकिदार के हवाले कर दिया जाता है और अधिक्षीका अपने घर किशनपुरी झाबुआ में रहती है।
नही रहती है अधीक्षीका
ग्राम परवट में संचालित होने वाले कन्या आश्रम में अधीक्षीका रहती ही नही है। छात्राओं को छोडकरवह झाबुआ अपने निवास स्थान किशनपुरी में रहती है। जब इस बारे में प्रतिनिधि जानकारी प्राप्त करने के लिए शनिवार को इस कन्या आश्रम में गए तो वहां अधीक्षिका श्रीमती बारिया वहां नही थी।
जब इस बारे में वहां के ग्रामीणों से चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि मेडम सुबह भी लेट आती है और शाम को घर चली जाती है कभी कभी तो आती ही नही है। इस आश्रम में सामने से ही रोड निकल रहा है और यहां से जीप, ट्रेक्टर तेज गति से निकलते है अगर कोई दुर्घटना होती है तो ये किस की जिम्मेदारी होगी। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि हमने इसका विरोध भी किया लेकिन मेडम कहती तुम शिकायत कर भी दोगे तो मेरा कुछ भी बिगडने वाला नही है।
नही दिया जा रहा है मेन्यु अनुसार भोजन
इस कन्या आश्रम में तो छात्राएं भगवान भरोसे ही है। अपने निजी हितों के लिए मेडम मेन्यु के अनुसार भोजन ही नही दे रही है। कुछ तो भी भोजन बनाकर दे दिया जाता है और छात्राओं को विवश होकर वह खाना पडता है। जिसके चलते छात्राओं में कई बिमारियां हो सकती है।
दी जा रही है कच्ची आलु की सब्जी और रोटी
प्रदेश के मुखिया तो अपनी लाडलियों के विकास की कई योजना चला रहे है। लेकिन उनकी लाडलियों को तो खाने में कच्ची रोटी और कच्ची आलु की सब्जी खाने को मिल रही है। प्रशासन तो पर्याप्त मात्रा में आश्रमों में खाने पिने और रहने की व्यवस्था कर रहा है लेकिन इन आश्रमों को संचालित करने वालें तो अपने निजी स्वार्थ सिद्घ करने में लगें हुए है। जब इस कन्या आश्रम में छात्राओं को भोजन करते हुए देखा गया तो वैसे ही सब्जी और रोटी कम थी और आलु भी कच्चे थे और रोटी भी लेकिन मेडम को क्या बच्चे है कुछ भी खा लेंगे।
उन्हे तो अलग से पका हुआ खाना मिलता है। उन्हें छात्राओं के स्वास्थ्य से क्या लेना देना और सोचनीय बात तो यह है कि खाना खाते वक्त छात्राओं के लिए बैठने के लिए बिछाने के लिए भी कोई व्यवस्था भी नही है ऊंची निची एवं धुल भरी जगह में बैठकर खाना खाती है।
कौन रखेगा छात्राओं का ध्यान
सोचनीय बात तो यह है कि अगर मेडम आश्रम में नही रहती है तो इन छात्राओं का कौन ध्यान रखता होगा? अगर रात में किसी छात्रा को कुछ हो जाता है तो उसका ध्यान कौन देगा। इस गैर जिम्मदारी के चलते छात्राओं का भविष्य अंधकार मे है। साथ ही छात्राओं को अच्छा भोजन नही मिलने से उनके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड हो रहा है साथ ही इस गैर जिम्मेदारी चलते उनकी सुरक्षा के बारे में भी कुछ नही कहा जा सकता है।
अधिकारी है जिम्मेदारी
अगर इन आश्रमों का अधिकारी समय समय पर निरिक्षण करें तो इस तरह की लापरवाही नही हो सकेगी लेकिन कोई भी अधिकारी इस और ध्यान ही नही दे रहे है। वे भी अपनी निजी रोटीयां सेकने में लगे हुए है। जिसके चलते वे देख कर भी अनदेखा कर रहे है। जिससे साफ स्पष्टï होता है कि इन सब बातों में अधिकारी भी पूरी तरह से लिप्त है। तभी तो इस ओर कोई ध्यान नही दे रहा है।
इनका कहना है-
मै सप्ताह में एक ही दिन कभी कभार छूटटी मनाती हुं। अगर कोई ग्रामीणोंं ने ऐसा कहा है तो सब को मेरे पास लेकर आओ में बताती हुं कि मै कब नही आती हुं।
* होस्टल अधिकक्षीका श्रीमती बारिया
अभी मैं धार में हुं वहां से आकर में मामले को दिखवाता हुं।
* सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला
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