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Thursday, February 17, 2011

अस्तित्व खो रही सींगरी नदी

  • सलामत खान
हो रहा दुरुपयोग
नरसिंहपुर (एमपी मिरर)। जिले की जीवनदायिनी सींगरी नदी इन दिनों नाले में तब्दील हो गई है। क्षेत्र में नदी का भरपूर दोहन एवं लोगों द्वारा गंदगी फैलाने के कारण इसका वजूद संकट में है। वहीं समय-समय पर सींगरी सुधार अभियान तो चलाए गए लेकिन नतीजा जस की तस रहा। जिसके चलते जिले की समृद्धि की प्रतीक सींगरी मैया अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। इसे बचाने समय रहते सार्थक प्रयास नही किये जाने से जिले की ऐतिहासिक नदी दुर्दशा का शिकार हो गई है। आम लोगों द्वारा जगह-जगह घरों एवं नालों का गंदा पानी नदी में बहाया जाता है। फलस्वरूप जिले की जीवनदायिनी सींगरी नदी ने नाले का रूप धर लिया है। कही-कहीं तो यह पूरी तरह सूख चुकी है। वहीं सींगरी में नर्मदा जल का प्रवाह गत वर्ष इन्ही दिनों समाजसेवियों द्वारा तो किया गया लेकिन नदी में अनेक स्थानों पर गड्डे,गंदगी एवं झाड़-झंखाड़ होने से सींगरी सुधार का उद्देश्य पूरा नही हो सका है।

बचई तालाब से उद्गम
जानकारी के अनुसार जिले की जीवनरेखा सींगरी नदी का उद्गम बचई के तालाब की मोहरी बबरिया डेम से है। जो अपने उद्गम से जिले में 30-32 किमी. का सफर तय करती है, यह बचई के तालाब से निकलकर ग्राम डांगीढ़ाना, खुरपा, मगरधा, कंदेली और नरसिंहपुर के बीच से होकर गुजरती हुई पिपरिया तथा सुरगी गांव के आगे बारूरेवा नदी में मिल जाती है। करीब एक दशक पूर्व तक आम लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली नदी उपेक्षित है।

पहले के वर्षो में भरी रहती थी सींगरी
शहर के बुजुर्गो ने बताया कि आज से 30-35 वर्ष पूर्व सींगरी के कुछ घाट ऐसे थे जहां हाथी तक डूब जाते थे। नदी में वर्ष भर भरपूर पानी होता था जिसमें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग तैरना सीखते थे। दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सींगरी जल का प्रयोग किया जाता था। नागरिकों के अनुसार गेहूं धोना,नहाना,कपड़े धोना एवं अन्य कार्य सींगरी तट पर किये जाते थे। सींगरी में बड़ती गंदगी एवं समुचित देखरेख के अभाव में नदी नाले में तब्दील हो गई है।

बेअसर रहे सुधार अभियान
सींगरी के सुधार के लिए जब-तक प्रयास किये गए। सींगरी की दयनीय स्थिति देखते हुए वर्ष 1998-2000 से सुधार अभियान प्रारंभ किए गए। इसके बाद प्रतिवर्ष समाजसेवियों व आम लोगों के सहयोग से सुधार अभियान भी चलाए गए जिसमें नदी की खुदाई, साफ-सफाई गहरीकरण आदि कार्य किए गए। बावजूद इसके सींगरी की दशा बद से बद्तर होती चली गई,जिससे सुधार अभियानों की पहल पर सवालिया निशान लगता है।

सींगरी में छोड़ा गया नर्मदा जल
सींगरी को सुंदर एवं स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से नगरपालिका अध्यक्ष महंत प्रीतमपुरी के प्रयासों से सींगरी की दशा बदलने उसमें अप्रैल 2010 को मेहमदपुर की सब केनाल से नर्मदा जल प्रवाहित किया गया था,इससे शहरवासियों में हर्ष व्याप्त था,लेकिन सींगरी में अनेक स्थानों पर गहरे गड्Þढे, गंदगी, झाड़ आदि होने से नर्मदा जल शहर की सीमा में दाखिल नही हो सका। वहीं संबंधितों ने आगामी समय में नदी की सफाई कर यथाशीघ्र सींगरी में नर्मदा जल प्रवाहित किए जाने की बात कही है,जिसमें नदी को नया रूप मिल सकेगा। और एक बार फिर सें सींगरी को नया जीवन मिलेगा।

इनका कहना है

अव्यवस्थाओं के कारण सींगरी नदी सुधार में देरी हुई है। नगरपालिका के पास खुद की जेसीबी मशीन उपलब्ध हो गई है,नदी की शहरी सीमा का सीमांकन कार्य कर सींगरी की सफाई व गड्डों की पुराई यथाशीघ्र की जाएगी। इसके साथ ही शहरवासियों को सींगरी में नर्मदा मैया के दर्शन जल्द कराने के लिए हम प्रयासरत है।

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