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Friday, May 13, 2011

खून के आंसू रूला रहा दूध

सलामत खान
दूध के बदले मिल रहा पानी
नरसिंहपुर (एमपी मिरर)। शहरी अर्ध शहरी क्षेत्रों में दूध की सप्लाई विकट समस्या का रूप लेती जा रही है। समीपी गांव से डिब्बों में दूध लाकर बेचने वालों पर यह आरोप है कि वह पानी मिला दूध बेच रहे है, जबकि शहर में ही डेयरी के माध्यम से दूध बेचने वालों पर बहुत ऊंचे दाम वसूलने की तोहमत है। इसके विपरीत यह दोनों की तरह के विक्रेता पर्याप्त मूल्य न मिलने का रोना रो रहे है। बहरहाल उपभोक्ताओं केा अपनी जेब हल्की करने के बाद भी दूध के नाम पर जो सफेद तरल पदार्थ मिल रहा है वह वास्तव में दूध है या पानी में घोला हुआ मिल्क पाउडर या सिथेटिक दूध या फिर अन्य कोई वस्तु यह अनुमान लगा पाना किसी के बस में नहीं है।

शहर को दूध की शत्-प्रतिशत पूर्ति या तो ग्रामीण अंचलों से होती है या फिर पॉलीथिन पैक दूध से जो कि जबलपुर से लाया जाता है। ग्रामीण अंचलों से जो दूध शहर भेजा जाता है वह दूध डिब्बों के माध्यम से भेजा जाता है, एक विशेष प्रकार के डिब्बे साईकिलों, दो पहिया-चार पहिया वाहनों के माध्यम से शहर भेजे जाते हैं, कुछ छोटे दूध व्यवसायी घरेलू उपयोग के बर्तनों में भी कई किलोमीटर यात्रा करके दूध शहर लाते है। दूध की क्वालिटी के हिसाब से ही दाम तय होते है,व्यवसायिक नीति के अनुसार दूध में जितना खेावा निकलता है, उतने ही हिसाब से दुकानदार दूध विक्रेता को भुगतान करता है। नरसिंहपुर जिला मुख्यालय पर वैसे तो एक शासकीय डेयरी भी कार्यरत्ï है किंतु यहां की व्यवस्थाओं का भगवान ही मालिक है।
शहर की प्रमुख होटलों के संचालकों एवं चाय ठेले वालों की शिकायत रही है कि दूध वाले, आदतन पानी मिला दूध लाते हैं, ऐसी ही शिकायत प्राय: हर ग्रहणी को होती हैं, शिकायतकत्र्ताओं के साथ एक समस्या यह भी है कि इसकी शिकायत कहाँ करें। ले-देकर दूध वाले को ही चार बातें सुनाकर, अथवा पैसे काटकर बात बना ली जाती है।
दूध विक्रेताओं की भी अपनी समस्याएं हैं, उन्हें किसी भी स्तर पर संरक्षण अथवा प्रोत्साहन नहीं दिया जाता, दर के लिये भी कोई नीति लागू नहीं है ऐसे में हर घर की आवश्यकता होने के बावजूद उन्हें उपेक्षित व्यवहार भुगतना पड़ता है। ठण्ड हो, बारिश हो गर्मी हो हर मौसम में समय पालन की प्रतिबद्घता से बंधे दूध विक्रेताओं की समस्याओं के निराकरण की यथोचित पहल हो तथा ग्रहणियों एवं होटल व्यवसायियों की भी शिकायतों का निराकरण हो ऐसी सभी पक्षों ने शासन-प्रशासन से अपेक्षा की है।

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