1453971' type='text/javascript' raj: संजय गांधी ताप विद्युत गृह मंगठार में तस्कर सक्रिय

Tuesday, March 15, 2011

संजय गांधी ताप विद्युत गृह मंगठार में तस्कर सक्रिय

उमरिया (एमपी मिरर)। जिले के संजय गांधी ताप विद्युत गृह मंगठार में फ्लाई ऐश (राखड़) की आड़ में बेशकीमती स्नोफेयर फ्लाई ऐश की निरंतर कई वर्षों से तस्करी होती चली आ रही थी जिसका खुलासा अचानक हुआ। ज्ञात हो इस मामले में कई बड़े अधिकारियों की संलिप्तता नजर आ रही है। यही कारण है कि ताप विद्युत गृह से 5 किलोमीटर दूर एकत्रित एक ट्रक स्नोफेयर फ्लाई ऐश विद्युत बोर्ड के आला अधिकारी और पुलिस के निरीक्षण में पांच दिन से ज्यादा पड़ा रहा लेकिन उस पर कार्यवाई करने के लिये कोई भी आगे नहीं आया। 5 मार्च को कुछ लोगों द्वारा संजय गांधी थर्मल पावर मंगठार के मुख्य अभियन्ता एके शंकुले को इसकी सूचना दी गई थी।

संजय गांधी थर्मल पावर से निकलने वाली बेशकीमती स्नोफेयर फ्लाई ऐश जीरो ढाबा के पास एक ईंट भट्टे में रखा हुआ है, इसकी सूचना मिलते ही मुख्य अभियन्ता ने सिविल इंजीनियर केके गुप्ता को कार्यवाई करने का निर्देश दिया। गुप्ता पुलिस के साथ बताये गये स्थान पर पहुंचे तो वहां बोरियों में भरा हुआ मिला उसमें से एक बोरी अपने साथ लैब में परीक्षण के लिये लेकर आ गये । तब तक चार दिन बीत जाने के बाद भी न तो उस स्थान से फ्लाई ऐश की जप्ती हुई और न ही रिपोर्ट दर्ज हो पाई। स्नोफेयर फ्लाई ऐश की बढती मांग एवं अत्यधिक उपयोगिता होने के कारण विद्युत मंडल जबलपुर द्वारा इसकी बिक्री के लिये निविदा जारी किया गया है। इसका निविदा क्रमांक 07-03/सीसी/स्नोफेयर/टी-27 है। इसका ठेका अभी तक किसी के पास नहीं है। इतने के बावजूद बेखौफ मजदूरों की जान जोखिम में डाल कर चोरी करवाया जाता है। इसमें तथाकथित लागो को लाभ मिलता है लेकिन शासन को कुछ भी नहीं मिलता है। वहीं दूसरी ओर स्नोफेयर फ्लाई ऐश के चोरी में ताप विद्युत गृह के अधिकारियों, कर्मचारियों का भी शामिल होना बताया जाता हैं, वहीं के एक कर्मचारी के अनुसार बड़े से लेकर छोटे तक सभी का हिस्सा होना शामिल है।

जानकार सूत्रों के अनुसार पिछले माह सनोफेयर से भरा दो ट्रक यहां के अधिकारी पकड़ चुके हैं लेकिन लेन-देन करके छोड़ दिये। अगर इस मामले की गहराई से जांच करवायी जाय तो कई अधिकारियों के चेहरे बेनकाब होंगे।

स्नोफेयर फ्लाई ऐश के बारे में वहीं के एक अधिकारी ने बताया कि प्लान्ट में कोयला जलने के बाद दो भागों में बंट जाता है और उसमें से एक सामान्य राखड़ निकलता है जिसकों कैपसूलों में भर कर सीमेन्ट फैक्ट्रीयों को 65 रुपये टन के दर से बेचा जाता है। दूसरा भाग बायलर से पानी के साथ ऐश डैम में बहाया जाता है, इसमें जो राख पानी के ऊपर तैरती है उसे छान कर एकत्रित कर लिया जाता है और यही स्नोफेयर फ्लाई ऐश कहलाता है। इसकी कीमत लगभग पन्द्रह हजार रुपये टन होती है और इसका उपयोग कास्मेटिक, फायरब्रिक्स, अग्निरोधी सामान, दवा एल्यूमीनियम, सीमेन्ट आदि बनाने के काम में आता है।

इतना सब होने के बाद इस कीमती चीज को बचाने के नाम पर संजय गांधी ताप विद्युत गृह के कोई भी अधिकारी कार्यवाई करने के नाम पर छुट्टी होने या रात होने का बहाना बना कर भागते रहे और संलिप्तता का प्रमाण देते रहे। वहीं जब मीडिया को खबर लगी तो मीडिया ने पावर जनरेटिंग के सीएमडी श्री सजनानी से बात कर पूरी स्थिति बताये तब उनकी फटकार के बाद अधिकारी हरकत में आये दिनेश शुक्ला के ईंट भट्टे से नमूना एकत्रित कर ले गये और जब सभी के सामने पानी से भरे गिलास में डाले तो वह राख तैरने लगी जिससे स्नोफेयर होना साबित हो गया।
वहीं मंगठार चौकी प्रभारी केपी द्विवेदी का कहना है कि कथित मामले में लिखित शिकायत प्राप्त हुयी है जांच के बाद कार्यवाई की जायेगी।

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