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Wednesday, February 16, 2011

पाले से हुए लाखों के नुकसान को कम दर्शाने लगे हैं अधिकारी

नरेश प्रताप सिंह
प्रशासनिक उपेक्षा के चलते कहीं सुतरेटी के किसान अत्महत्या के लिये न हो जाएं विवश
झाबुआ (एमपी मिरर)। प्रदेश मे किसानो द्वारा कि जा रही आत्महत्याओ से एक और तो प्रदेश की सरकार परेशान है क्योकि लगातार हो रही इन आत्महत्याओ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के उस दावे की हवा निकालना प्रारंभ हो गई है कि जिसमे वे कहते है कि वे खुद किसान के बैटे है और किसानो के हित के लिए कुछ भी कर सकते है। इसी नोटंकी मे उन्होने उपवास भी रखने का ऐलान किया लेकिन वह भी मात्र नाटक बन कर रह गया।
किसानो की आत्महात्या को देखते हुए प्रदेश के मुखिया ने विगत दिनो घोषणा कि थी किसानो को जितने के नुकासान हुआ वह पूरा दिया जायेगा और जो अधिकारी किसानो के मुआवजे को कम आंके कर किसानो के साथ छल करेगा उसे वे नोकरी करने के लायक नही छोडेगे। लेकिन लगता है कि मंच से मुख्यमंत्री जो घोषणा कुछ और करते है और अधिकारियो को निर्देश कुछ और जारी करते है। यह सब कुछ इन दिनो झाबुआ जिले के थांदला तहसिल के गांव सुतरेटी मे देखने को मिल सकता है जहां पाले के कारण लगभग ३५० बिघा टमाटर एवं १०० बिघा के करीब कापास की फसल खराब हो जाने के कारण किसान कर्ज के बोझ मे दबे है और हा सकता है कि इसी कर्ज के बोझ मे कोई किसान आत्महत्या कर ले क्योकि थांदला तहसिल मे पदस्थ अधिकारियो को इन किसानो का नुकसान दिखाई ही नही दे रहा है और अपने नुकसान के वास्त्वीक आकलन को लेकर बडी संख्या मे किसान आये दिन तहसिल कार्यलय के चक्कर लगा रहे है। इसके पश्चात भी जिम्मेदार अधिकारी कह रहे है कि किसानो का क्या नुकसान तो महज ५ प्रतिशत ही हुआ है। इससे ऐसा लगता है कि अधिकारी या तो प्रदेश के मुखिया के आदशो का पालन नही करना चाहते या फिर मुख्यमंत्री किसानो को समझाने के लिए मंच से कुछ अलग और अधिकारियो को आदेश कुछ अलग दिये हो इसी कारण बचारे किसान परेशान हो रहे है।

लाखो का नुकसान हजारो का आकलन -:
जब इस प्रतिनिधि ने तहसिल थांदल के ग्राम सुतरेटी मे जा कर देखा तो किसानो के लाखो रूपये की फसल पाले के कारण बर्बाद हो चुकी है। इस नुक सान के कारण यहां के किसान कर्ज के बोझ मे डूब चुके है और उनकी हालत यह है कि वे इस कर्ज को लेकर काफी परेशान है इस संबंध मे किसान राजैन्द्र गंगारामजी शम्भुलाल पटीदार,गंगाराम पटीदार,फकीरचन्द पाटीदार आदि ने बताया की टमाटर की एक फसल उगाने मे लगभग प्रति बिघा ४० से ५० हजार रूपये का खर्च बैठता है और सुतरेटी टमाटर उत्पादक मे जिले मे अपार खासा स्थान रखता है यहां के किसानो की मुख्य फसल ही टमाटार है कोई कई विघा मे लगी इन किसानो की फसल को पाले ने चौपट कर दिया इस कारण हालत यह है कि कर्ज के डूबे किसान बजार मे निकलने तक से परहेज करने लगे हे लेकिन उन्हे अपना आने वाला कल सता रहा है क्यौकि आने वाले दिनो मे निश्चीत है कि जिन्होने उन्हे उधार किया है वे अपने कर्ज की वसूली करेगे ऐसे मे कही परेशान किसान आत्महत्या के लिए विवश न हो जाये।

कुछ दिनो पहले बना था पंचनाम-:
फसल नुकासान के आकलन के लिए कुछ दिनो पहले नायब तहसिलदारन् निधि वर्मा,पटवारी,सरपंच आदि ने ग्राम सुतरेटी पहुच कर नष्टï हुई फसल का मोका मुआयना किया था उसम सम किसानो को सम्बधित अधिकारियो ने कहा था कि आपाका नुकसान तो ८० और आपको इस का मुआवजा भी मिलेगा अधिकारियो की इस प्रकार के असवासन ने किसानो के माथे पर पडी चिंता की लकीरो को कुछ कम किया लेकिन किसानो को जब दो महा के बाद भी सरकार द्वारा किसी प्रकार की कोई सहायता नही मिली तो किसानो ने तहसिल कार्यलय का रूख किया जो यहां पर पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियो ने हाथ ही खडे कर दिये आर किसानो से कह दिया की आपका कोई जयादा नुकसान थोडे हुआ है महज ५ से १० प्रतिशत नुकसान के लिए इतना हल्ला क्यौ मचा रहे हो जब भी शासन का आदेश होगा तुम्हे मुआवजा मिल जायेगा। अधिकारियो के इस प्रकार के जवबा ने किसानो के पैरे के निचे कि जमीन खसका दी की जो अधिकारी कुछ दिनो पहले फसल मे ८० प्रतिशत नुकसान मान रहे थे आज वे ही कह रहे है कि आपका नुकसान तो महज पांच से दस प्रतिशत ही हुआ है। अधिकारियो के इस जवाब के बाद मे किसान लगातार वरिष्टï अधिकारियो से संपर्क करने के लिए तहसिल कार्यालय के चक्कर लगा रहे है। लेकिन अधिकारी इन किसानो को संतुष्टï नही कर पा रहे है। बल्कि जिम्मेदार अधिकारी इन किसानो को अपने कार्यालय से हकाल देते है।

किसानो मे जाग रहा है आक्रोश-:
इस पूरे मामले से किसान इन दिनो काफी आक्रोश मे है क्योकि एक और तो प्रदेश के मुखीया किसानो को परा हक दिलाने की बात कह रहे वही दुसरी और जिम्मेदार अधिकारी किसानो को हकला कर परेशान कर रहे है इस कारण किसान काफी परेशान है क्योकि एक ओर फसल नष्टï हो जाने से कारण बजार एंव बैक मे किसानो पर कर्ज लद गया है वही दुसरी और जिम्मेदार अधिकारी किसानो कि फसलो का सही आकलन करने के बजाया महज खनापूर्ती करना चाहते है। और किसान उट के मुह मे दिया जाने वाले इस जीरे रूपी मुआवजे को ले कर नाम नही करना चाहते है। क्योकि किसानो को लाखो का नुकासन हुआ है। और जिम्मेदार अधिकरी उन्हे अपने अधिकार से वंचीत करना चाहते है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार-:
इस संबंध मे नायब तहसिलदार से जब चर्चा कि तो उन्होने कहा की किसानो को महज पांच से दस प्रतिशत का ही नुकसान हुआ है। फसल को ज्यादा नुकसान नही है किसान तो कुछ भी कह सकते है।

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