1453971' type='text/javascript' raj: शिव और शक्ति का अद्भुत संगम पहाड़ी मंदिर

Friday, April 10, 2009

शिव और शक्ति का अद्भुत संगम पहाड़ी मंदिर

भोपाल (मनोहर पाल)। कोलार नयापुरा स्थित पहाड़ी पर बना मनकामेश्वर मंदिर शिव और शक्ति का अद्भुत संगम है। जहां आने वाले हर शख्स की मुराद पूरी होती है। यह देश का एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर तेरह ज्योर्तिलिंग बने हुए हैं और साथ ही करवा चौथ माता का मंदिर बना हुआ है। पहाड़ी पर मुख्य मंदिर कामेश्वरी महारानी का है, जो अपने हर श्रध्दालु की इच्छाओं को पूरा करती हैं। मंदिर के आसपास और भी मंदिर बने हुए हैं, जिसमें कई देवी-देवता विराजमान हैं। पहाड़ी पर बने मंदिर, आसपास फैली हरियाली व पेड़-पौधे का मनोरम दृश्य पहाड़ी की सुन्दरता में चार चांद लगाते हैं। यहां की एक और खासियत है, कि जहां पर किसी से चंदा नहीं लिया जाता है। यहां पर रहने वाले पुजारी ओमप्रकाश महाराज का कहना है कि सब कुछ महारानी जी की कृपा से होता चला आ रहा है।
बारह ज्योर्तिलिंग और शहस्त्र लिंगेश्वर महादेव का संगम ः- कहते हैं दुनिया में बारह ज्योर्तिलिंग ही होते हैं लेकिन पहाड़ी मंदिर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर तेरह ज्योर्तिलिंग विराजमान हैं। तेरहवें ज्योर्तिलिंग को शहस्त्र लिंगेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है, जिसमें एक हजार शिवलिंग बने हुए हैं। इनके दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से श्रध्दालु आते हैं। मकर संक्राति और महाशिवरात्रि के पर्व पर श्रध्दालुओं का मेला सा लग जाता है।
करवा चौथ माता का मंदिरः- पुजारी ओमप्रकाश महाराज का कहना है कि करीब दस वर्ष पहले सर्थप्रथम महारानी कामेश्वरी की स्थापना की गई थी, लेकिन उनकी ही कृपा से धीरे-धीरे कई देवी-देवताओं की स्थापना की गई है। इनमें करवा चौथ माता मंदिर भी है। उन्होंने बताया कि लगभग सात वर्ष पहले करवा चौथ माता की स्थापना की गई है और यह देश का एकमात्र मंदिर है। जहां महिलाएं हमेशा आती और अपने वर के दीर्घ आयु की कामना करती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाओं की सार्वाधिक भीड़ रहती है। अपने पति और बच्चों की लंबी आयु की कामना के लिए महिलाएं करवा चौथ के दूसरे दिन सुबह आकर व्रत खोलती हैं। देश के अलग-अलग प्रांतों से महिलाएं दूर-दराज के क्षेत्रों से भी आती हैं। यहां आने वाली प्रत्येक महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती हैं।
वर्षभर चलते हैं धार्मिक-सांस्कृत्तिक आयोजन ः- मंदिर के संस्थापक व पुजारी ओमप्रकाश महाराज ने बताया कि यहां पर वर्षभर धार्मिक एवं सांस्कृत्तिक आयोजन होते रहते हैं। पुजारी का कहना है कि महारानी जी की कृपा से अब तक सौ से भी अधिक यज्ञ संपन्न हो चुके हैं। प्रत्येक वर्ष करीब चार से पांच यज्ञों का आयोजन होता है। इनमें कुछ यज्ञ पहाड़ी मंदिर के अलावा अन्य स्थानों पर भी संपन्न कराए जाते हैं। इसी क्रम में वर्षभर देशी घी के भंडारों का सिलसिला चलता रहता है। इन भंडारों की संख्या करीब 25 से 40 हुआ करती है। मकर संक्राति, माव पूर्णर्िमा, कार्तिक पूर्णिमा, नवरात्र और शिवरात्र सहित कई पर्वों पर पहाड़ी मंदिर के दर्शनों के लिए देशभर से अधिक संख्या में श्रध्दालु आते हैं।
आने-जाने की व्यवस्था ः- करीब दौ सौ फीट ऊंची पहाड़ी पर चढ़ने के लिए मंदिर के सामने से सीढ़ियों का निर्माण किया गया है, जिनके माध्यम से श्रध्दालु मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा जो भी श्रध्दालु मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा जो भी श्रध्दालु वाहनों से पहाड़ी पर आना चाहते हैं, उनके लिए मंदिर के पीछे से रास्ता बनाया गया है। इस रास्ते से दोपहिया और चार पहिया वाहन आसानी से आ जा सकते हैं।
पहाड़ी पर पानी की भी उत्तम व्यवस्था है। वैसे तो पहाड़ी पर नयापुरा से मोटर के माध्यम से पानी की सप्लाई किया जाता है, लेकिन इसकी वैकल्पिक व्यवस्था पहाड़ी पर ही हैंडपंप लगाकर की गई है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि गत वर्ष वर्षा कम होने की वजह से हैंडपंप से पानी नहीं निकलता है, लेकिन इससे पहले वर्षभर पानी निकलता रहता था।
कई मूर्तियों की और होगी स्थापना ः- पुजारी ओमप्रकाश ने बताया कि कई देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई है और कुछ मूर्तियां बनाने के आर्डर दिए गए हैं। जैसे-जैसे मंदिरों का निर्माण होता जाएगा। वैसे-वैसे मूर्तियों की स्थापना की जाएगी।

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