जन-कल्याण के 11 वर्ष
देश और प्रदेश की समृद्धि के लिये यह जरूरी है कि खेती-किसानी लाभप्रद हो। मध्यप्रदेश की एक बड़ी आबादी गाँवों में है और जो किसी न किसी रूप में कृषि कार्य से जुड़ी है। मैं खुद भी किसान हूँ और मुझे पता है कि आज से ग्यारह वर्ष पूर्व किसानों का दर्द क्या था। सिंचाई सुविधा नहीं थी, उत्पादन और लागत में बड़ा अंतर था। ऋण की ब्याज दर 13-14 प्रतिशत थी, बिजली नहीं थी और इस पर अगर प्राकृतिक आपदा आ गयी, तो किसान की तो कमर ही टूट जाती थी। खेती से जुड़े मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की विकट समस्या हो जाती थी।
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