स्नान के लिए घाटों पर उमड़ा भक्तों का सैलाब
भोपाल। सिंहस्थ महाकुंभ के सातवें स्नान पर्व में मोहिनी एकादशी पर्व वैशाख शुक्ल 11 मंगलवार देश-विदेश से आये लाखों श्रद्धालुओं ने माँ क्षिप्रा के विभिन्न घाट पर आस्था की डुबकी लगायी। स्नान पर्व के अवसर पर अर्द्धरात्रि से ही बड़ी
संख्या
में घाटों में श्रद्धालुओं का ताँता लगा हुआ था। सुबह से ही त्रिवेणी घाट,
गऊघाट, रामघाट एवं दत्त अखाड़ा घाट में लोग बारी-बारी से श्रद्धा की डुबकी
लगाकर स्नान पर्व का पुण्य प्राप्त कर रहे थे। एकादशी के स्नान पर्व पर
क्षिप्रा नदी पर बने नव-निर्मित आठ किलोमीटर के घाट श्रद्धालुओं से पटे नजर
आ रहे थे। आस्था का यह दृश्य अत्यंत मनोरम था। मोक्ष प्राप्ति के लिये हर
कोई क्षिप्रा के स्वच्छ, निर्मल जल में डुबकी लगाकर प्रार्थना कर रहे थे।
भोपाल। सिंहस्थ महाकुंभ के सातवें स्नान पर्व में मोहिनी एकादशी पर्व वैशाख शुक्ल 11 मंगलवार देश-विदेश से आये लाखों श्रद्धालुओं ने माँ क्षिप्रा के विभिन्न घाट पर आस्था की डुबकी लगायी। स्नान पर्व के अवसर पर अर्द्धरात्रि से ही बड़ी
अगला स्नान पर्व 19 मई को
सिंहस्थ का तीसरा शाही स्नान 21 मई को
सिंहस्थ में मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान करने के लिये शाही एवं पर्व स्नान की तिथियाँ तय हैं। सिंहस्थ में दो शाही स्नान हो चुके हैं। अगले दो पर्व स्नान गुरुवार 19 मई को, शुक्रवार 20 मई को तथा शनिवार 21 मई को तीसरा शाही/प्रमुख स्नान होगा।
सिंहस्थ का तीसरा शाही स्नान 21 मई को
सिंहस्थ में मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान करने के लिये शाही एवं पर्व स्नान की तिथियाँ तय हैं। सिंहस्थ में दो शाही स्नान हो चुके हैं। अगले दो पर्व स्नान गुरुवार 19 मई को, शुक्रवार 20 मई को तथा शनिवार 21 मई को तीसरा शाही/प्रमुख स्नान होगा।
अविस्मरणीय यात्रा
उत्तरप्रदेश लखनऊ से आयी शोभा पांडे ने बताया कि इतनी बड़ी भीड़ में शामिल होना उनके जीवन की पहली एवं अविस्मरणीय यात्रा है। यहाँ आकर मुझे देशवासियों की श्रद्धा एवं आस्था के प्रति अटूट विश्वास देखने को मिला। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ महाकुंभ ऐसा अवसर है जहाँ एकसाथ देश की सभ्यता एवं संस्कृति का दर्शन करने का मौका मिलता है । साधु-संतों की पवित्र वाणी से जीवन धन्य होता है।
उत्तरप्रदेश लखनऊ से आयी शोभा पांडे ने बताया कि इतनी बड़ी भीड़ में शामिल होना उनके जीवन की पहली एवं अविस्मरणीय यात्रा है। यहाँ आकर मुझे देशवासियों की श्रद्धा एवं आस्था के प्रति अटूट विश्वास देखने को मिला। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ महाकुंभ ऐसा अवसर है जहाँ एकसाथ देश की सभ्यता एवं संस्कृति का दर्शन करने का मौका मिलता है । साधु-संतों की पवित्र वाणी से जीवन धन्य होता है।
मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान कर किए महाकाल के दर्शन
इलाहाबाद से आए आर.एस. उपाध्याय ने कहा कि इलाहाबाद में लगातार 3 कुंभ में स्नान किया है लेकिन उनके परिवार की इच्छा महाकाल के दर्शन करने की थी। उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ कुंभ में मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन किए। मुंबई से जे.डी. भगत अपने परिवार के 15 सदस्य के साथ सिहस्थ में आए हैं। उन्होंने बताया कि पृथ्वी के नाभि स्थल में स्थित होने के कारण महाकाल का बहुत महत्व है। अतः वह सिहस्थ में क्षिप्रा में स्नान और महाकाल के दर्शन का सुअवसर खोना नहीं चाहते थे। महाकाल के दर्शन के लिए प्रदेश सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्था की है, इसका सीधा लाभ श्रद्धालुओं को हो रहा है। केवल 30 मिनट के अंदर महाकाल के दर्शन हो जाते हैं। गुजरात के पंचमहल से आए अभय सिंह ने बताया कि वह अपने परिवार के 10 सदस्य के साथ महाकाल के दर्शन करने आए हैं। मुरैना जिला से रामजी कसाना ने बताया कि वह अपने परिवार के 10 लोगों के साथ सिंहस्थ में मोहनी एकादशी क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन किए। खरगोन के जितेंद्र राठौर ने बताया कि वह अपने परिवार के 20 सदस्य के साथ 15 दिन पूर्व सिंहस्थ में आए हैं। क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन कर विभिन्न संतो के पंडालों में जाकर धर्म लाभ प्राप्त कर रहे हैं। दिल्ली से पुष्पा रानी अग्रवाल ने बताया कि महाकाल में दर्शन करने पर पिछले 12 वर्ष से महाकाल के दर्शन करने का संकल्प पूरा हुआ । कोटा राजस्थान से आई रचना एवं शांति ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ पिछले सप्ताह महाकाल के दर्शन करने आईं महाकाल के दर्शन होने पर उनकी वर्षों पुरानी इच्छा पूर्ण हुई।
इलाहाबाद से आए आर.एस. उपाध्याय ने कहा कि इलाहाबाद में लगातार 3 कुंभ में स्नान किया है लेकिन उनके परिवार की इच्छा महाकाल के दर्शन करने की थी। उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ कुंभ में मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन किए। मुंबई से जे.डी. भगत अपने परिवार के 15 सदस्य के साथ सिहस्थ में आए हैं। उन्होंने बताया कि पृथ्वी के नाभि स्थल में स्थित होने के कारण महाकाल का बहुत महत्व है। अतः वह सिहस्थ में क्षिप्रा में स्नान और महाकाल के दर्शन का सुअवसर खोना नहीं चाहते थे। महाकाल के दर्शन के लिए प्रदेश सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्था की है, इसका सीधा लाभ श्रद्धालुओं को हो रहा है। केवल 30 मिनट के अंदर महाकाल के दर्शन हो जाते हैं। गुजरात के पंचमहल से आए अभय सिंह ने बताया कि वह अपने परिवार के 10 सदस्य के साथ महाकाल के दर्शन करने आए हैं। मुरैना जिला से रामजी कसाना ने बताया कि वह अपने परिवार के 10 लोगों के साथ सिंहस्थ में मोहनी एकादशी क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन किए। खरगोन के जितेंद्र राठौर ने बताया कि वह अपने परिवार के 20 सदस्य के साथ 15 दिन पूर्व सिंहस्थ में आए हैं। क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन कर विभिन्न संतो के पंडालों में जाकर धर्म लाभ प्राप्त कर रहे हैं। दिल्ली से पुष्पा रानी अग्रवाल ने बताया कि महाकाल में दर्शन करने पर पिछले 12 वर्ष से महाकाल के दर्शन करने का संकल्प पूरा हुआ । कोटा राजस्थान से आई रचना एवं शांति ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ पिछले सप्ताह महाकाल के दर्शन करने आईं महाकाल के दर्शन होने पर उनकी वर्षों पुरानी इच्छा पूर्ण हुई।
वर्षों की अभिलाषा पूरी
सागर जिले के ग्राम गढ़ा कोटा से अपनी धर्मपत्नी कोशाबाई और सात वर्षीय पोती तनु के साथ आये ज्ञानप्रसाद मोहनी एकादशी के पुण्य मुहूर्त पर पवित्र सलिला क्षिप्रा में स्नान करके गये हैं। उनका कहना था कि हमारी पत्नी की वर्षों की अभिलाषा थी कि सिंहस्थ महापर्व पर क्षिप्रा में डुबकी लगाने का अवसर मिले। ज्ञानप्रसाद का कहना था कि प्रदेश सरकार के इंतजामों और महाकाल की कृपा से मेरी जीवन संगिनी का पुण्य सिंहस्थ स्नान का सपना पूरा हुआ। इसी तरह द्वारिका नगर भोपाल से आये अर्जुनलाल एवं उनकी धर्मपत्नी शीला, फिरोजाबाद उत्तरप्रदेश के रणवीर तिवारी, दिल्ली के फूलसिंह और सूरत गुजरात से आये श्रद्धालु जयदयाल और उनके साथी ने सिंहस्थ व्यवस्थाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
सागर जिले के ग्राम गढ़ा कोटा से अपनी धर्मपत्नी कोशाबाई और सात वर्षीय पोती तनु के साथ आये ज्ञानप्रसाद मोहनी एकादशी के पुण्य मुहूर्त पर पवित्र सलिला क्षिप्रा में स्नान करके गये हैं। उनका कहना था कि हमारी पत्नी की वर्षों की अभिलाषा थी कि सिंहस्थ महापर्व पर क्षिप्रा में डुबकी लगाने का अवसर मिले। ज्ञानप्रसाद का कहना था कि प्रदेश सरकार के इंतजामों और महाकाल की कृपा से मेरी जीवन संगिनी का पुण्य सिंहस्थ स्नान का सपना पूरा हुआ। इसी तरह द्वारिका नगर भोपाल से आये अर्जुनलाल एवं उनकी धर्मपत्नी शीला, फिरोजाबाद उत्तरप्रदेश के रणवीर तिवारी, दिल्ली के फूलसिंह और सूरत गुजरात से आये श्रद्धालु जयदयाल और उनके साथी ने सिंहस्थ व्यवस्थाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
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