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Thursday, May 19, 2016

मोहिनी एकादशी पर्व पर घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

स्नान के लिए घाटों पर उमड़ा भक्तों का सैलाब
भोपाल। सिंहस्थ महाकुंभ के सातवें स्नान पर्व में मोहिनी एकादशी पर्व वैशाख शुक्ल 11 मंगलवार देश-विदेश से आये लाखों श्रद्धालुओं ने माँ क्षिप्रा के विभिन्न घाट पर आस्था की डुबकी लगायी। स्नान पर्व के अवसर पर अर्द्धरात्रि से ही बड़ी singhasth me snan . dubki singhasth me snanसंख्या में घाटों में श्रद्धालुओं का ताँता लगा हुआ था। सुबह से ही त्रिवेणी घाट, गऊघाट, रामघाट एवं दत्त अखाड़ा घाट में लोग बारी-बारी से श्रद्धा की डुबकी लगाकर स्नान पर्व का पुण्य प्राप्त कर रहे थे। एकादशी के स्नान पर्व पर क्षिप्रा नदी पर बने नव-निर्मित आठ किलोमीटर के घाट श्रद्धालुओं से पटे नजर आ रहे थे। आस्था का यह दृश्य अत्यंत मनोरम था। मोक्ष प्राप्ति के लिये हर कोई क्षिप्रा के स्वच्छ, निर्मल जल में डुबकी लगाकर प्रार्थना कर रहे थे।
पर्व स्नान को देखते हुए प्रशासन द्वारा घाटों पर चुस्त-दुरुस्त व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की गयी थीं। जगह-जगह पर पुलिस एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के लोग श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन दे रहे थे। यातायात को व्यवस्थित रखने के लिये बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था। आवश्यकतानुसार भीड़ बढ़ने पर मार्ग भी परिवर्तित किये जा रहे थे। इसके साथ ही यात्रियों की सुरक्षा, जेबकतरों की सघन चौकसी तथा घाटों पर स्नान के दौरान डूबने की घटना से बचाव के लिये तैराक दल गश्त कर रहे थे। खोया-पाया केन्द्र के माध्यम से बिछड़े परिवारों को मिलाने का काम भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सेवा भाव से किया जा रहा था। घाटों में विशेष साफ-सफाई, आकस्मिक घटनाओं से बचाव के लिये राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान तथा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के तैराक दल पूरी सतर्कता बरत रहे थे। घाटों में पहुँचने के लिये यातायात व्यवस्था को सुगम बनाया गया था। पुलिस अधिकारी सदभाव का परिचय देते हुए तीर्थ-यात्रियों का मार्गदर्शन कर रहे थे।
अविस्मरणीय यात्रा
उत्तरप्रदेश लखनऊ से आयी शोभा पांडे ने बताया कि इतनी बड़ी भीड़ में शामिल होना उनके जीवन की पहली एवं अविस्मरणीय यात्रा है। यहाँ आकर मुझे देशवासियों की श्रद्धा एवं आस्था के प्रति अटूट विश्वास देखने को मिला। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ महाकुंभ ऐसा अवसर है जहाँ एकसाथ देश की सभ्यता एवं संस्कृति का दर्शन करने का मौका मिलता है । साधु-संतों की पवित्र वाणी से जीवन धन्य होता है।
मध्यप्रदेश जबलपुर से आये डॉ. राकेश तिवारी ने कहा कि विभिन्न समाचार माध्यमों से यहाँ उमड़ती भीड़ के समाचार पढ़ने से पहले तो आने में डर लग रहा था। फिर महाकुंभ में दिव्यांग, वृद्धों एवं बच्चों के आने तथा श्रद्धा की डुबकी लगाने के समाचार देखने एवं पढ़ने के बाद रहा नहीं गया और मैं भी एक दिन पूर्व पर्व स्नान के लिए यहाँ आया हूँ। आने के बाद राज्य शासन द्वारा की गई उत्कृष्ट व्यवस्थाओं ने मेरे सारे भ्रम तोड़ दिये। बड़ी सुविधा के साथ रामघाट में स्नान का अवसर प्राप्त हुआ, जो मेरे जीवन के लिए अविस्मरणीय क्षण बन गया है।
सतना से आये वेद नारायण तिवारी ने कहा कि उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ की व्यवस्थाएँ देश के अन्य स्थानों में आयोजित महाकुंभ से बहुत अच्छी है। घाटों की स्वच्छता, स्नान घाटों में पानी की शुद्धता के निरंतर प्रयास और भीड़ नियंत्रण का तरीका काफी प्रभावित करने वाला है। उन्होंने कहा कि प्रकृति पूजा का इतना बड़ा आयोजन अब तक हमने नहीं देखा।
मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान कर किए महाकाल के दर्शन
इलाहाबाद से आए आर.एस. उपाध्याय ने कहा कि इलाहाबाद में लगातार 3 कुंभ में स्नान किया है लेकिन उनके परिवार की इच्छा महाकाल के दर्शन करने की थी। उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ कुंभ में मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन किए। मुंबई से जे.डी. भगत अपने परिवार के 15 सदस्य के साथ सिहस्थ में आए हैं। उन्होंने बताया कि पृथ्वी के नाभि स्थल में स्थित होने के कारण महाकाल का बहुत महत्व है। अतः वह सिहस्थ में क्षिप्रा में स्नान और महाकाल के दर्शन का सुअवसर खोना नहीं चाहते थे। महाकाल के दर्शन के लिए प्रदेश सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्था की है, इसका सीधा लाभ श्रद्धालुओं को हो रहा है। केवल 30 मिनट के अंदर महाकाल के दर्शन हो जाते हैं। गुजरात के पंचमहल से आए अभय सिंह ने बताया कि वह अपने परिवार के 10 सदस्य के साथ महाकाल के दर्शन करने आए हैं। मुरैना जिला से रामजी कसाना ने बताया कि वह अपने परिवार के 10 लोगों के साथ सिंहस्थ में मोहनी एकादशी क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन किए। खरगोन के जितेंद्र राठौर ने बताया कि वह अपने परिवार के 20 सदस्य के साथ 15 दिन पूर्व सिंहस्थ में आए हैं। क्षिप्रा में स्नान कर महाकाल के दर्शन कर विभिन्न संतो के पंडालों में जाकर धर्म लाभ प्राप्त कर रहे हैं। दिल्ली से पुष्पा रानी अग्रवाल ने बताया कि महाकाल में दर्शन करने पर पिछले 12 वर्ष से महाकाल के दर्शन करने का संकल्प पूरा हुआ । कोटा राजस्थान से आई रचना एवं शांति ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ पिछले सप्ताह महाकाल के दर्शन करने आईं महाकाल के दर्शन होने पर उनकी वर्षों पुरानी इच्छा पूर्ण हुई।
वर्षों की अभिलाषा पूरी
सागर जिले के ग्राम गढ़ा कोटा से अपनी धर्मपत्नी कोशाबाई और सात वर्षीय पोती तनु के साथ आये ज्ञानप्रसाद मोहनी एकादशी के पुण्य मुहूर्त पर पवित्र सलिला क्षिप्रा में स्नान करके गये हैं। उनका कहना था कि हमारी पत्नी की वर्षों की अभिलाषा थी कि सिंहस्थ महापर्व पर क्षिप्रा में डुबकी लगाने का अवसर मिले। ज्ञानप्रसाद का कहना था कि प्रदेश सरकार के इंतजामों और महाकाल की कृपा से मेरी जीवन संगिनी का पुण्य सिंहस्थ स्नान का सपना पूरा हुआ। इसी तरह द्वारिका नगर भोपाल से आये अर्जुनलाल एवं उनकी धर्मपत्नी शीला, फिरोजाबाद उत्तरप्रदेश के रणवीर तिवारी, दिल्ली के फूलसिंह और सूरत गुजरात से आये श्रद्धालु जयदयाल और उनके साथी ने सिंहस्थ व्यवस्थाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

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