पारा/झाबुआ (एमपी मिरर)। कभी चौबीसों घंटे नल चलने वाले पारा नगर में भूमिगत जल की हालत गंभीर
हो गई जल स्तर पाताल में चला गया। नगर मे 15 से 20 दिनों के बाद एक बार दस
मिनट के लिए जल प्रदाय किया जा रहा है। जल संकट का आलम यह है कि नगर में
पूरे वर्ष पानी की किल्लत रहती है नगर में सप्ताह में मात्र दो बार जल
प्रदाय किया जाता है। वर्तमान में नलों द्वारा जल प्रदाय लगभग बंद होने के
कगार पर है। जल संकट से निपटने के लिए अभी तक शासन द्वारा पंचायत को
करोड़ों रुपए दिए जा चुके हैं, बावजूद इसके जमीनी हकीकत यह है कि आज
नगरवासी पानी की बुंद बुंद के लिए मोहताज होकर महंगे भाव का पानी जो कि
कुएं अथवा नदी-तालाब के पोखरों से आ रहा है, को पीने को मजबूर हैं।
-विधायक व सांसद ने दिए टैंकरों का नहीं पता
नगर मे भीष्ण जल संकट होने से आसपास के ग्रामीण अपने अपने टैंकरो से नगर मे
बीस रुपए प्रति बैरल के रेट से जल प्रदाय कर रहे हे। वही क्षेत्र के पूर्व
व वर्तमान विधायको द्वारा जल संकट से निपटने के
लिए दिए गए टैंकरों का कहीं पता नहीं है। न ही ग्राम पंचायत इन जन
प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए टैंकर से ग्रामवासियों को पीने का पानी उपलब्ध
करवा रही है। 24 घंटे नगरवासी टैंकर की राह देखते रहते हैं, ताकि पानी मिल
सके। निजी टैंकर वाले जोकि देर सवेर पानी लाकर नगरवासियों की प्यास बुझा
रहे हे वर्ना पानी के लिए जनता मे त्राही मच जाती वही पंचायत के पास हर साल
हैंडपंप लगवाने के अलावा कोई योजना नहीं है, जो नगर की प्यास बुझा सके।
-शासन के नलकूपों पर रसूखदारों का कब्जा
नगर मे जल संकट को दुर करने के लिए प्रति वर्ष विभिन्न मदों से कई-कई
नलकूपों का खनन किया जाता है। सरकार द्वारा खनन करवाए गए अधिकंश नलकूप कीसी
न कीसी रसूखदार जन प्रतिनिधि के खेत, घर के आगन मे अथवा घरो मे हे जो आज
निजि मिलकियत होकर रह गए है, जो कभी किसी को पानी नही देते हे जब की उक्त
नलकुपो के खनन के समय जिला प्रशासन ने यह शर्त रखी थी वे अपनी निजी मोटर
पंप लगा कर नगरवासियों जल देगे। बावजूद इसके यह रसूखदार जन प्रतिनिधि आमजन
के उपयोग के लिए किए गए नलकुप खनन का निजि उपयोग कर रहे हे। वही नगर के
अधिकाशं नलकूपों सुख गए है अथवा जल स्तर पाताल में चला गया है, आम आदमी दिन
निकलने के साथ ही पानी की उधेड़बुन में लग जाता है।
नहीं हो रहा पुराने कुओं व तालाब का जीर्णोद्धार
नगर
मे भीष्ण जल संकट को देखते हुए पुरानें कुओं का उपचार अंतयत आवश्यक है
जिनसे की नगर वासीयो के सुखते कंठ को तर किया जा सके। नगर में बस स्टैंड
स्थित शंकर मंदिर पर दो कुएं हैं। एक कुएं का निर्माण प्रथम पंचवर्षीय
योजना के अंतर्गत मण्डल पंचायत द्वारा सन 1956 मे करवाया गया था। इनमे कभी
बारह मास पानी रहता था।
हो गई जल स्तर पाताल में चला गया। नगर मे 15 से 20 दिनों के बाद एक बार दस
मिनट के लिए जल प्रदाय किया जा रहा है। जल संकट का आलम यह है कि नगर में
पूरे वर्ष पानी की किल्लत रहती है नगर में सप्ताह में मात्र दो बार जल
प्रदाय किया जाता है। वर्तमान में नलों द्वारा जल प्रदाय लगभग बंद होने के
कगार पर है। जल संकट से निपटने के लिए अभी तक शासन द्वारा पंचायत को
करोड़ों रुपए दिए जा चुके हैं, बावजूद इसके जमीनी हकीकत यह है कि आज
नगरवासी पानी की बुंद बुंद के लिए मोहताज होकर महंगे भाव का पानी जो कि
कुएं अथवा नदी-तालाब के पोखरों से आ रहा है, को पीने को मजबूर हैं।
-विधायक व सांसद ने दिए टैंकरों का नहीं पता
नगर मे भीष्ण जल संकट होने से आसपास के ग्रामीण अपने अपने टैंकरो से नगर मे
बीस रुपए प्रति बैरल के रेट से जल प्रदाय कर रहे हे। वही क्षेत्र के पूर्व
व वर्तमान विधायको द्वारा जल संकट से निपटने के
लिए दिए गए टैंकरों का कहीं पता नहीं है। न ही ग्राम पंचायत इन जन
प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए टैंकर से ग्रामवासियों को पीने का पानी उपलब्ध
करवा रही है। 24 घंटे नगरवासी टैंकर की राह देखते रहते हैं, ताकि पानी मिल
सके। निजी टैंकर वाले जोकि देर सवेर पानी लाकर नगरवासियों की प्यास बुझा
रहे हे वर्ना पानी के लिए जनता मे त्राही मच जाती वही पंचायत के पास हर साल
हैंडपंप लगवाने के अलावा कोई योजना नहीं है, जो नगर की प्यास बुझा सके।
-शासन के नलकूपों पर रसूखदारों का कब्जा
नगर मे जल संकट को दुर करने के लिए प्रति वर्ष विभिन्न मदों से कई-कई
नलकूपों का खनन किया जाता है। सरकार द्वारा खनन करवाए गए अधिकंश नलकूप कीसी
न कीसी रसूखदार जन प्रतिनिधि के खेत, घर के आगन मे अथवा घरो मे हे जो आज
निजि मिलकियत होकर रह गए है, जो कभी किसी को पानी नही देते हे जब की उक्त
नलकुपो के खनन के समय जिला प्रशासन ने यह शर्त रखी थी वे अपनी निजी मोटर
पंप लगा कर नगरवासियों जल देगे। बावजूद इसके यह रसूखदार जन प्रतिनिधि आमजन
के उपयोग के लिए किए गए नलकुप खनन का निजि उपयोग कर रहे हे। वही नगर के
अधिकाशं नलकूपों सुख गए है अथवा जल स्तर पाताल में चला गया है, आम आदमी दिन
निकलने के साथ ही पानी की उधेड़बुन में लग जाता है।
नहीं हो रहा पुराने कुओं व तालाब का जीर्णोद्धार
नगर
मे भीष्ण जल संकट को देखते हुए पुरानें कुओं का उपचार अंतयत आवश्यक है
जिनसे की नगर वासीयो के सुखते कंठ को तर किया जा सके। नगर में बस स्टैंड
स्थित शंकर मंदिर पर दो कुएं हैं। एक कुएं का निर्माण प्रथम पंचवर्षीय
योजना के अंतर्गत मण्डल पंचायत द्वारा सन 1956 मे करवाया गया था। इनमे कभी
बारह मास पानी रहता था।
पानी की आपूर्ति नलों के माध्यम से होने
पर उक्त दोनों कुओं को आसपास के रहवासीयो ने कुडा कचारा डाल कर बंद कर
दिया आज संकट के इस दौर मे उक्त दोनों कुओं का मलबा निकाल कर एक बार फिरसे
नगर वासीयो का गला तर किया जा सकता है, पर नगरवासी व ग्राम पंचायत इस मुहिम
को लेकर उदासीन हे। सभी एक दुसरे का मुह ताक रहे हैं। वहीं नगर के एक
मात्र पुरातन तालाब की पाल करिब पांच वर्ष पुर्व बारिश मे बहगई थी जिसकी भी
सुध किसी ने आज तक नही ली जब की इसी तालाब की पाल पर सिचाई विभाग का आफिस
बना हुआ हे।वर्ष भर पानी रहने वाले तालाब को आज बच्चो ने क्रिकेट का मेदान
बना रखा है।
जलसंकट का एक मात्र हल धमोई तालाब
पारा नगर के जल संकट को दुर करने के लिए एक मात्र हल हे धमोई तालाब जिसके
पानी को लाने के लिए नगर युवा समाजिक कार्यकर्ता राकेश कटारा ने विगत वर्ष
जिले के प्रभारी मंत्री को गुहार लगाई थी प्रभारी मंत्री ने भी तत्काल
स्विकृती देने के बाद जिला प्रशासन को सटीमेट बनाकर देने के लिए कहा
था बावजुद इसके जिले के आला अधिकारी मंत्री जी के उक्त आदेश को घोल कर
पीगए। एक वर्ष बितजाने बाद आज तक धमाई तालाब से पारा को जल प्रदाय करने का
स्टीमेट नही बना। उपर से यह अडंगा लगाया की उक्त तालाब से झाबुआ को पानी
दिया जा रहा है।
पर उक्त दोनों कुओं को आसपास के रहवासीयो ने कुडा कचारा डाल कर बंद कर
दिया आज संकट के इस दौर मे उक्त दोनों कुओं का मलबा निकाल कर एक बार फिरसे
नगर वासीयो का गला तर किया जा सकता है, पर नगरवासी व ग्राम पंचायत इस मुहिम
को लेकर उदासीन हे। सभी एक दुसरे का मुह ताक रहे हैं। वहीं नगर के एक
मात्र पुरातन तालाब की पाल करिब पांच वर्ष पुर्व बारिश मे बहगई थी जिसकी भी
सुध किसी ने आज तक नही ली जब की इसी तालाब की पाल पर सिचाई विभाग का आफिस
बना हुआ हे।वर्ष भर पानी रहने वाले तालाब को आज बच्चो ने क्रिकेट का मेदान
बना रखा है।
जलसंकट का एक मात्र हल धमोई तालाब
पारा नगर के जल संकट को दुर करने के लिए एक मात्र हल हे धमोई तालाब जिसके
पानी को लाने के लिए नगर युवा समाजिक कार्यकर्ता राकेश कटारा ने विगत वर्ष
जिले के प्रभारी मंत्री को गुहार लगाई थी प्रभारी मंत्री ने भी तत्काल
स्विकृती देने के बाद जिला प्रशासन को सटीमेट बनाकर देने के लिए कहा
था बावजुद इसके जिले के आला अधिकारी मंत्री जी के उक्त आदेश को घोल कर
पीगए। एक वर्ष बितजाने बाद आज तक धमाई तालाब से पारा को जल प्रदाय करने का
स्टीमेट नही बना। उपर से यह अडंगा लगाया की उक्त तालाब से झाबुआ को पानी
दिया जा रहा है।
No comments:
Post a Comment