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Tuesday, May 31, 2016

...तो 11 जुलाई से थम जाएंगे रेलवे के पहिए

...तो 11 जुलाई से थम जाएंगे रेलवे के पहिए

-पूंजीपति के हाथ में खेल रही सरकार : भटनागर

- मांगें पूरी नहीं होने पर होगा बड़ा आंदोलन


भोपाल (एमपी मिरर)। वेस्ट सेंटर रेलवे संघ की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष
डॉ. आरपी भटनागर ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार
पूंजीपतियों के हाथ में खेल रही है। उसे मजदूरों तथा आम आदमी से कोई सरोकार
नहीं है, रेलवे विदेशी पूंजी निवेश से सबसे बड़ा खतरा काम करने वाले
कर्मचारियों के भविष्य को लेकर है। विदेशी पूंजी निवेश से रेलवे का
इन्फास्ट्रक्चर कमजोर हो जाएगा, जिससे लंबे समय तक रेलवे को चलाने में
दिक्कत आएगी। हमारा सबसे बड़ा विरोध इसी बात को लेकर है।



- कर्मचारियों के हित में नहीं लिया गया निर्णय

डॉ. भटनागर राजधानी भोपाल में वेस्ट सेंटर रेलवे मजदूर संघ की कार्यकारिणी
की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होने कहा कि सांतवे वेतन
आयोग की विसंगतियों को लेकर सरकार रवैया सकारात्मक नहीं है। उन्होनें
बताया कि नेशनल ज्वाइंट काउसिल ऑफ एक्शन दिल्ली में 8 फरवरी को ही बैठक में
केंद्रीय  कर्मचारियों द्वारा केंद्र सरकार के विरोध में छत्तीस सूत्रिय
मांगों को लेकर हड़ताल में जाने का निर्णय लेकर देश भर में धरना प्रर्दशन,
काला दिवस जैसे आयोजन हुए थे। जिसके चलते सरकार ने कैबीनेट सचिव पीके
सिन्हा की अध्यक्षता में वेतन विसंगतियों को दूर करने एक कमेटी गठित की थी।
इसके बाद भी कर्मचारियों के हित में कोई निर्णय नहीं लिए जा सके।



11 जुलाई को राष्ट्र व्यापी हड़ताल

डॉ. भटनागर ने बताया कि पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव को
देखते हुए वेतन विसंगति के संबंध में 11 अप्रैल को प्रस्तावित रेल रोको
हड़ताल टाल दी गई थी, लेकिन अब चुनाव संपन्न होने के बाद 11 जुलाई से
देशव्यापी हड़ताल की जाएगी। इस हड़ताल से रेलों के पहिए थम जाएंगे। इस
दौरान जनता को होने वाली परेशानी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी।



-डेढ़ लाख कर्मचारी की कमीडॉ. आरपी भटनागर ने बताया कि रेलवे में इस समय 1 लाख 20 हजार से ज्यादा अधिक कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। इन पदों पर भर्ती न करने से कर्मचारियों को अतिरिक्त बोझ का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि रेलवे कर्मचारियों के आवास की हालात जर्जर होती जा रही है। रेलवे अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। इतना ही नहीं धीरे-धीरे सभी स्कूल बंद होते चले जा रहे हैं, इसके बाद केंद्र सरकार के कानों में जूं नहीं रेंग रही है।

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