1453971' type='text/javascript' raj: इलेक्टानि• मीडिया •ा बदलता स्वरूप

Tuesday, September 01, 2009

इलेक्टानि• मीडिया •ा बदलता स्वरूप

सुनील •ुमार
पिछले दो दश• से चारों तरफ परिवर्तन अविराम गति से जारी है। यह परिवर्तन स्वभावि• •म और चौ•ाने वाला यादा है। सामाजि• संरचना से ले•र आर्थि•-राजनीति• यहां त• •ी मीडिया •े क्षेत्र में भी परिवर्तन देखने •ो मिल रहा है। इसी •ा परिणाम है •ि आज देश में ए• नई संस्•ृति •ा जन्म हो रहा है जो उपभोक्तावादी संस्•ृति से आम जनता •ो जो$ड रहा है। समाज •ा ए• ब$डा हिस्सा मीडिया में बना रहना चाहता है और मीडिया भी उसे हाथों-हाथ ले•र धन उगाही •ा साधन बना रहा है। आज इसी तरह •े •ारनामे इलेक्ट-ानि• मीडिया द्वारा •िये जा रहे हैं।

मीडिया में आज ऐसे रियलिटी शो •ी बाढ सी आ गई है, जिसे भारतीय संस्•ृति व गौरव •े अनु•ूल •भी नहीं •हा जा स•ता। इलेक्ट-ानि• मीडिया आज •ुछ ऐसे ही रियलिटी शो दिखा रही है जो भारतीय संस्•ृति और गौरव •े विपरीत हैं। इससे लोगों में मानसि• वि•ृति पैदा होती है और उस•ा ध्यान नैति• जिम्मेदारी से भट•ता है। पिछले •ुछ सालों से मीडिया (खास तौर पर इलेक्ट-ानि• मीडिया) में ए• नये ट-ेंड •ा वि•ास हो रहा है। यह सामाजि• •म व्यवसायि• 'यादा बनता जा रहा है। अपने व्यवसाय •ो बढाने और लोगों •े दिलो-दिमाग पर छाने •े लिए •िस •दर अपना मुहरा बदल स•ते हैं इस•ा अंदाजा •ुछ चैनलों पर चल रहे रियलिटी शो से पता लगाया जा स•ता है। यह रियलिटी शो •िस हद त• सही है और इससे समाज •ो क्या मिल रहा है इसे ले•र न तो •िसी वर्ग विशेष •ो चिंता है और न ही हमारी सर•ार •ो जो •हने •ो तो भारत निर्माण •ा नाम ले•र भारतीयों •ो जो$डने •ा •ारनामा दिखा रही है।

वैसेे तो मीडिया •ो प्रबुद्घ और वुद्घिजीवी वर्ग में गिना जाता है, ले•िन यह जिस तरह •ा •ार्य •र रहा है उससे जरूर इस•ी पहचान और नैति• जिम्मेदारी •ब धूमिल हो जाएगी •ुछ •हा नहीं जा स•ता है। वहीं ए• शिक्षित और सभ्य समाज इस•ो अपनाने में भी हिच• रहा है। पिछले •ुछ दिनों में इलेक्ट-ानि• मीडिया में आये •ुछ परिवर्तनों •ो ले•र शिक्षित समाज चिंतित है और वह बार-बार इस प्रश्र •ो दोहरा रहा है •ि आखिर हमारे वुद्धिजीवी वर्ग •ो क्या हो गया है जो अपने नैति• जिम्मेदारी से भट•ता जा रहा है जो •भी सर•ार और जनता •े बीच •ी •$डी हो•र समाज •ी समस्याओं •ो शासन और प्रशासन •ी नजर में ला•र उस•ा निवारण •रने में महत्वपूर्ण भूमि•ा निभाता था।

यह समाज •ा वह आइना था जो दूध •ा दूध और पानी •ा पानी बना देता था, ले•िन आज यह उपभोक्तावादी संस्•ृति में डुब•ी लगा रहा है। इसे अपनी टीआरपी बढाने •े अलावा और •ुछ नहीं सूझ रहा है। यदि हम निजी चैनलों पर चल रहे रियलिटी शो •ी बात •रें तो बिल्•ुल चौ•ाने वाला है। चाहे वह एनडीटीवी इमेजिन पर चल रहा रियलिटी शो राखी •ा स्वयंवर हो या स्टार पर •ा सच •ा सामना। वहीं क्यों•ि सास भी •भी बहु थी और बिग बॉस, बिग ब्रदर जैस रियलिटी शो से समाज में गलत संदेश जाता है, जिससे लोगों में मानसि• वि•ृति तो पैदा होती ही है हमारे नौजवान पीढी और बालउम्र पर भी •ाफी गहरा प्रभाव प$डता है। इसे देख•र हमारा बालमन भट•ता है, जिससे अपराध और भ्रष्टाचार •ो बढावा मिलता है। वर्तमान में अधि•ांश निजी चैनल अपनी टीआरपी बढाने •े लिए मनगढंत •हानी और विवादास्यपद •ार्य•्रम दिखा रहे हैं। यह ए• तरह •ा दर्श•ों में लो•प्रिय होने •ा सर्तिया उपाय तो है ही पर्दे •े पीछे पैसा •माने •ा ए• सशक्त माध्यम भी जो है।

इस तरह •े रियलिटी शो से हालां•ि क्षणि• मनोरंजन तो होता है,वहीं इस•ा असली प्रभाव बाद में समझ में आता है, जिसे •िसी तरह से भी देश और समाज •े हित में नहीं लिया जा स•ता। यह •हना गलत नहीं होगा •ि इस•ा दीर्घ•ालीन प्रभाव हमारी संस्•ृति व समाज पर जरूर पडेगा, जिस•ा खामियाजा हमें अपनी गौरव •ो खो•र भी चु•ाना प$ड स•ता है। वर्तमान में निजी चैनलों पर आ रहे सभी रियलिटी शो •िसी न •िसी विदेशी शो से प्रेरित है, जिस•ा आयात •र भारत में उस•ा स्वरूप बदल•र दर्श•ों •े सामने परोसा जा रहा है। सबसे चौ•ाने वाली बात तो यह है •ि आजादी •े ६२ वर्ष बाद भी हम विदेशी चीजों •ा आयात• बन•र उस•ा भरपूर विदोहन •र रहे हैं। अग्रेजों द्वारा ४०० वर्ष त• भारत पर •िए गए राज •ा प्रभाव हमारे जहन में इतना उतर गया है •ि आज भी हम उसे अपनाने में नहीं हिच• रहे हैं। मीडिया •ो इसी आजादी •ो पाने •े लिए •भी जी तो$ड मेहनत •रनी प$ड थी, ले•िन इसे मीडिया •ा दुर्र्भाग्य ही •हेंगे •ि आज उसे आज इस•ी परवाह नहीं है और वह उसे खत्म •रने पर तुला हुआ है। अभी हाल ही में एनडीटीवी इमेजिन पर समाप्त हुए रियलिटी शो राखी •ा स्वयंवर •ी बात •रें तो ऐसा प्रतीत होता है •ि ए• ऐसी ल$ड•ी •ा स्वयंवर रचाया जा रहा है जिसे न समाज •ी परवाह है और न ही परिवार •ी। अपने आप•ो सौद्रर्य •ी देवी मानने वाली पहली ऐसी स्वघोषित सुंदरी है जो पापुलरिटी पाने •े लिए •िसी भी हद त• जा स•ती है उसे पापुलरिटी पाना और मीडिया में बने रहना अ'छी तरह आता है। वह हमेशा •िसी न •िसी वजह से मीडिया में रहना चाहती है इस•े पहले भी वह अपने प्रेमी अभिषे• •ो स्टेज पर चाटा मार•र और मि•ा चुंबन प्र•रण से चर्चा में आ चु•ी है। अब वह स्वयंवर रचा•र मीडिया में बनी हुई है। इस तरह •े रियलिटी शो से समाज •ो •ुछ नया नहीं मिल रहा है ले•िन एनडीटीवी इमेंजिन और राखी •ो धन और सोहरत दोनों ए•साथ मिल रहा है। जिस•े दोषी हम सब हैं।

क्यों•ि इस तरह •े रियलिटी शो •ा बढावा हम ही देते हैं इतना ही नहीं स्टार प्लस पर आ रहे रियलिटी शो सच •ा सामना ए• ऐसे विदेशी आयातित रियलिटी शो है जो अमेरि•ा में •ाफी लो•प्रिय हुआ और •ाफी धन भी •माने में •ामयाब रहा। वहीं आज स्टार प्लस भी उससे प्रेरित हो•र ऐसे वाहयात •ार्य•्रम दर्श•ों •े सामने परोस रहा है, जिसे भारतीय समाज •भी भी नहीं अपना स•ता है। हालां•ि समाज •ा ए• ऐसा तब•ा जरूर इसे अपना रहा है जो अपने आप •ो आधुनि• मान रहा है। इन लोगों •ी आधुनि•ता •े मायने वैचारि• नहीं बल्•ि खान-पान और पहन-पोशा• से होता है। यदि इन•े लिए हम इस तरह •े रियलिटी शो दिखा रहे हैं तो समाज •ा ए• बडे हिस्से •े साथ अन्याय •र रहे हैं जो इससे बिल्•ुल ही अलग है। इलेक्ट-ानि• मीडिया में ब$ढता रियलिटी शो •ा •्रेज भारतीय समाज •े लिए ए• विष साबित हो रहा है, जो समाज •ो धीरे-धीरे विषाक्त बनाता जा रहा है। इस तरह •े रियलिटी शो •ी जरूरत भारतीय समाज •ो नहीं है। भारतीय संस्•ृति और परंपरा विश्व •ी सबसे साफ-सुधरी और स्वगछ मानी जाती है। यदि इसे बढाने •ा •ाम नहीं •र स•ते हैं तो हमें इसे नु•सान पहुंचाने •ा •ोई ह• नहीं है।

1 comment:

  1. sab paise ki maaya hai manohar ji ........ aaj apna daaitv koi nahi samajhta .....

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