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Tuesday, April 07, 2009

आरजे केञ् रूञ्प में अपार संभावनाएं : रोहित कुञ्मार राय

आरजे सूचना क्रञंति केञ् बदौलत आज मनोरंजन एक उद्योग केञ् रूञ्प में विस्थापित हो गया है*। इसका हर एक माध्यम आज लोकप्रिय हो चुका है*। तमाम टीवी चैनलों केञ् आने केञ् बाद रेडियो को मरा हुआ समझ लिया गया था, एक बार फिर रेडियो आमजन केञ् बीच पॉपुलर हो गया है*। रेडियो संचार केञ् एक महत्वपूर्ण और भरोसेमंद साधन केञ् रूञ्प में पहले से ही प्रतिष्ठा प्राप्त किए हुए हैं, तभी तो आज रेडियो को सुनने वाले श्रोताओं की संチया बहुत अधिक है*। मनोरंजन केञ् क्षेत्र में भी अब रेडियो खासी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है*। रेडियो केञ् व्यापक प्रभाव और इसकेञ् प्रति लोगों की दीवानगी देखकर शुरुआती दौर में सरकार द्वारा इस पर आने वाले तमाम कार्यक्रञ्मों को प्रसारित करने का अधिकार किसी निजि संस्थान को नहीं था, लेकिन आज इसकी लोकप्रियता को देखते हुए पूरी स्थिति बदल गई है*। आलम यह है कि आज अनेक प्रतिष्ठित, निजी संस्थान, उद्योग कंपनियां भी इस ब्राडकॉस्टिंग केञ् क्षेत्र में धड़ल्ले से उतर रही हैं*।
एक समय था जब मनोरंजन केञ् लिए विविध भारती केञ् अलावा कोई भी रेडियो स्टेशन नहीं हुआ करता था, लेकिन अब एफएम केञ् तमाम रेडियो स्टेशन आ जाने केञ् कारण श्रोताओं केञ् पास कई विकल्प मौजूद रहते है*ं। आज लगभग सभी महानगरों और शहरों में एफएम की शुरुआत हो गई है*। एफएम की बढ़ती लोकप्रियता को देखते इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं भी काफी बढ़ गई हैं*। खासतौर पर रेडियो जॉकी यानी आरजे की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है*। यह एक ऐसा पद है, जिसकेञ् द्वारा हम अपनेआपको सिद्घ भी कर सकते हैं, बल्कि इससे नेम, ड्डेञ्म केञ् अलावा अ%छी खासी तनチवाह पाने का सुनहरा मौका भी मिल सकता है*।
इस क्षेत्र में आने वाले इ%छुक लोगों केञ् लिए सबसे उत्तम बात यह है कि वे चाहे तो इसको पार्ट टाइम केञ् तौर पर भी कर सकते हैं*। रेडियो केञ् क्षेत्र में बहुत ऐसे जाने-पहचाने नाम हैं, जिनको आज भी उतना ही जाना जाता है, *जितना कि रेडियो केञ् युग में जाना जाता था*। इनका कार्यक्रञ्म को सुनने केञ् लिए लोग घंटों इंतजार करते थे, तब जाकेञ् सुन पाते थे*। उनमें से फिजा खान एक हैं, जिनको लाखों श्रोता अपना आदर्श मानते हैं*। इसकेञ् अलावा आज भी विविध भारती केञ् यूनिस खान, ममता सिंह, निミमी मिश्रा आदि को सुनने केञ् लिए लोग बेकरार हो जाते हैं*।
आरजे बनने केञ् लिए स्क्रिञ्प्ट स्वयं लिखनी पड़ती है*। इसलिए उसका रचनात्मक होना बेहद जरूञ्री होता है*। भाषा पर पकड़ शホदों का सही उ%चारण और अ%छी आवाज आदि अन्य बातें हैं, जो रेडियो जॉकी केञ् लिए जरूञ्री है रेडियो जॉकी बनने केञ् इ%छुक लोगों को अंग्रेजी और उर्दू की समझ भी होनी चाहिए*। इसकेञ् अलावा सेंस ऑफ ह्‌यूमर भी बढ़िया होने केञ् साथ-साथ गीत-संगीत की समझ भी अ%छी होनी चाहिए*। आरजे बनने केञ् इ%छुक युवाओं को सबसे पहले अपनी रिकार्ड की हुई आवाज किसी विज्ञापन एजेंसी या स्वतंत्र निर्माताओं को भेजनी चाहिए*। उसकेञ् बाद उन्हें उनसे लगातार संपर्कञ् में रहना चाहिए*। अपनी आवाज जरूञ्रत केञ् मुताबिक न्नंञ्चा-नीचा करने का हुनर भी चाहिए*। इसकेञ् लिए अपनी आवाज को टेप कर सुनें, आपको स्वयं पता चल जाएगा*कि आप तेजी से बोल रहे हैं या साफ बोल रहे हैं यह कार्य तब तक करें, जब तक आप संतुष्ट न हो जाएं। आजकल इसकेञ् लिए कई संस्थान प्रशिक्षण दे रही हैं, जिसमें आप प्रशिक्षण लेकर रेडियो जॉकी बन सकते हैं तो अब タया सोच रहे हैं*। हो जाइये तैयार और कस लीजिए कमर कि हम आरजे बनकर दम लेंगे*।

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